जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को आखिरकार झुके और व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार हो गए हैं। शिवराज ने कहा है कि हाई कोर्ट से अपील करुंगा कि मामले की जांच के लिए सीबीआई को कहे। गृह मंत्री राजनाथ पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार का अनुरोध मिलने पर वह तुरंत आदेश कर देंगे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट 9 जुलाई को मध्यप्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई लोगों दायर की है।
मंगलवार को चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू की अगुवाई वाली बैंच ने मामले की त्वरित सुनवाई की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि हम सभी मामलों को एक साथ ले सकते हैं, यह सुनवाई नौ जुलाई को होगी। व्यापमं मामले की सीबीआई जांच की मांग लंबे समय से की जा रही है और इस मामले में चार अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं थीं । मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि इस मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी और एसटीएफ कर रहीं हैं, इसलिए इसकी सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के सामने आने के बाद से इस घोटाले से कथित रूप से संबंध रखने वालों लोगों की मौत का सिलसिला जारी है। 2013 में यह घोटाला उजागर हुआ था और तब से लेकर अभी तक करीब 47 लोगों की मौत का मामला सामने आ चुका है।
बता दें कि इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि यदि राज्य सरकार या हाई कोर्ट कहेगा तो मामले की सीबीआई जांच करवाई जा सकती है। उधर, सोमवार को ही राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा है कि यदि हाईकोर्ट कहेगी तो वह मामले की सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं।
2008 से 2013 के बीच प्री मेडिकल टेस्ट में चुने गए 2200 डॉक्टर और अन्य संदिग्ध बताये जाते हैं। इस मामले में करीब 3000 लोग आरोपी बनाए गए हैं। इनमें छात्र, मां-बाप, राजनेता, बिजनेसमैन और दलाल टाइप के उच्च कोटी के लोग शामिल हैं। करीब 1700 गिरफ्तार हुए हैं जिनमें से कुछ ज़मानत पर हैं तो कुछ जेल में हैं। बड़ी संख्या में छात्र जेल में हैं और अभी भी करीब 500 लोग फ़रार बताये जा रहे हैं।