जनजीवन ब्यूरो
भोपाल। एमबीबीएस की छात्रा नम्रता डामोर की मौत का मामला फिर से खुलेगा। उज्जैन के पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह वर्मा ने आज बताया कि नम्रता की मौत की फिर से जांच कराने के आदेश दिए गए हैं। तराना के पुलिस अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओपी) आर के शर्मा इस मामले की जांच करेंगे।
उज्जैन जिले में 7 जुलाई 2012 को रेलवे पटरियों पर नम्रता का शव संदिग्ध अवस्था में मिला था। एसपी ने बताया कि पुलिस ने पहले इस मामले में हत्या का प्रकरण दर्ज किया था। लेकिन बाद में इसे दुर्घटना करार देकर मामला खत्म कर दिया था। नम्रता इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय (एमजीएम) की छात्रा थी और यह संदेह था कि उसने व्यापमं में प्रवेश कराने वाले गिरोह की मदद से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया था।
यह मामला पुन: तब सामने आया जब टीवी पत्रकार अक्षय सिंह हाल ही में नम्रता के झाबुआ जिले के मेघनगर स्थित निवास पर उसके पिता का इंटरव्यू लेने पहुंचे थे, जहां सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी। व्यापमं मामले में चारों ओर से दबाव के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल अपने पुराने रुख से पलटते हुए इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा तफ्तीश कराने की मंजूरी मांगने का फैसला किया। कल ही उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति जताई थी।
चौहान द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा किये जाने के बाद राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से प्रवेश तथा भर्ती से जुड़े इस बड़े घोटाले के मामले में सीबीआई जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया। पिछले कुछ दिनों में व्यापमं से जुड़े लोगों की एक के बाद एक मौत के मामलों पर विपक्ष के तीखे हमले और जनता के आक्रोश से घिरे चौहान ने उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच की सिफारिश करने के फैसले का एलान किया।
संबंधित घटनाक्रम में कल उच्चतम न्यायालय ने घोटाले में शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच कराने के लिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तीन व्हिसलब्लोअरों की याचिका पर नौ जुलाई को सुनवाई करने की सहमति दी। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड (एमपीपीईबी) घोटाले को व्यापमं घोटाले के नाम से जाना जाता है। दाखिले और भर्ती से जुड़े इस व्यापक घोटाले में कई नौकरशाह और राजनेता शामिल हैं।