जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में महिलाओं की क्या भूमिका होगी? आधी आबादी के वो कौन से मुद्दे होंगे जो चुनावी गणित को प्रभावित कर सकती हैं। सियासी संग्राम में महिलाओं के मुद्दों पर भी नजर होगी। लोकतंत्र के इस उत्सव में आधी आबादी बढ़चढ़ हिस्सा लेती है।
विधानसभा चुनाव के लिए मतदातन की तारीखों का एलान हो गया है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं। सिर्फ छत्तीसगढ़ में दो चरण में चुनाव होंगे बाकी अन्य राज्यों में एक चरण में चुनाव कार्य पूरा हो जाएगा। 11 दिसंबर को सभी राज्यों में मतगणना होगी और नतीजे आ जाएंगे।
चुनावी राज्यों में से तीन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारें हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो पिछले 15 सालों से भाजपा सत्तासीन है। वहीं राजस्थान में पिछले पांच सालों से भाजपा का शासन है। तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) और मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है।
विधानसभा चुनावों में राज्यों में किसको मिलेगा सत्ता का सिंहासन? भाजपा, कांग्रेस या फिर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कोई तीसरा दल को मिल सकती है सत्ता की चाबी। फिलहाल यह कहना आसान नहीं होगा। ऐसे में इन राज्यों में चुनावी मुद्दे क्या होंगे?
राजस्थान में महिला मतदाता
राजस्थान में महिलाओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड कायम किया था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान किया था। मताधिकार के इस्तेमाल के मामले में आधी आबादी पुरुषों से आगे रही।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 30 सालों के दौरान महिलाओं के घर से निकलकर मतदान केंद्र में पहुंचने की दर में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। साल 2008 की तुलना में साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं के मतदान में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
बीते विधानसभा चुनावों में मतदान के रिकॉर्ड और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को देखते हुए ऐसा अनुमान है कि महिलाएं मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगी।
मध्यप्रदेश में महिला मतदाता
कुल मतदाता – 5 करोड़ 3 लाख 94 हजार 86
महिला मतदाता – 2 करोड़ 40 लाख 77 हजार 7 सौ 19
पुरुष मतदाता – 2 करोड़ 63 लाख 14 हजार 9 सौ 57
युवा मतदाता – 1 करोड़ 37 लाख 83 हजार
चुनाव आयोग के मुताबिक पुरुष मतदाताओं की संख्या में तीन लाख छह हजार 31 की वृद्धि हुई है। वहीं महिलाओं मतदाताओं की संख्या भी पांच लाख 88 हजार 34 बढ़ी है। जबकि थर्ड जेंडर मतदाता भी 124 बढ़े हैं।
छत्तीसगढ़ और मिजोरम में महिला मतदाता
छत्तीसगढ़ में महिला मतदाता
राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक प्रदेश में एक करोड़ 81 लाख 79 हजार 435 मतदाता हैं।
पुरुष मतदाता – 91 लाख 46 हजार 99
महिला मतदाता – 91 लाख 32 हजार 505
छत्तीसगढ़ में ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं जहां महिला मतदाता चुनाव में खासा प्रभाव रखती हैं। सूबे के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से डेढ़ दर्जन क्षेत्रों में उम्मीदवारों की हार और जीत का फैसला महिला मतदाताओं के हाथ में होता है।
इन क्षेत्रों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या कहीं अधिक है। हालांकि, महिलाओं को विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक उस संख्या में प्रत्याशी नहीं बनाया है जितने की पैरवी उनके नेता करते हैं।
तेलंगाना में मतदाता
तेलंगाना में मतदाता सूची में करीब 70 लाख विसंगतियों के आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना मतदाता सूची मुद्दे को लेकर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया है कि याचिका की प्रमुखता को देखते हुए मतदाता सूची संशोधन की अवधि पर तुरंत फैसला लें।
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान और मध्य प्रदेश में मतदाता सूचियों में कथित विसंगतियों को लेकर भी याचिका दायर की है।
मिजोरम में महिला मतदाता
पूर्वोत्तर में मिजोरम को महिल शक्ति के प्रभुत्व वाला राज्य माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है।
साल 2013 की मतदाता सूची के अनुसार राज्य के मतदाताओं की कुल संख्या 6,86,305 है। इनमें से महिला मतदाताओं की संख्या 3,49,506 तथा पुरुष मतदाताओं की संख्या 3,36,799 है।
मिजोरम में पिछले कुछ सालों के दौरान महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक रही है। लेकिन बावजूद इसके राज्य विधानसभा में महिलाओं का कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहा है।
मिजोरम में राजनीतिक अधिकारों के लिए काम करने वाली महिलाएं इस बात पर अफसोस जाहिर करती हैं कि मिजो सोसायटी में आज भी पुरुषों को कानून बनाने वाली प्रक्रिया में महिलाओं को अपनी प्रतिनिधि के तौर पर स्वीकार करना मंजूर नहीं है।
राजनीतिक दलों पर बढ़ता दबाव
महिला आरक्षण की मांग बहुत लंबे समय से की जा रही है। भले ही यह अब तक चुनावी मुद्दे में तब्दील नहीं हो पाया हो, लेकिन राजनीतिक दलों पर महिलाओं को टिकट देने का दबाव बढ़ा है। चुनावी विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि इस बार मतदान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।