जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मस्थली वाले राज्य गुजरात से बिहार और यूपी के लोगों के पलायन के कारण वहां की कंपनियां चरमरा गई हैं। माना जाता है कि गुजराती झगड़े और फसाद से दूर ही रहना पसंद करते हैं, लेकिन चार-पांच दिनों से जो माहौल गुजरात के हैं वह ना तो बिहार-यूपी के लोगों के लिए अच्छा है और न ही गुजरात की अर्थव्यवस्था के लिए।
साणंद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत शाह के मुताबिक, साणंद में यूपी और बिहार के 12,000 से ज्यादा मजदूर उत्तर गुजरात में फैक्ट्रियों में काम करते हैं, लेकिन हमले के डर से वह सभी अपने गृह राज्य वापस चले गए हैं।
उद्योग विशेषज्ञों की मानें तो गुजरात में 1 करोड़ से ज्यादा लोग फैक्ट्रियों में काम करते हैं और उनमें से 70 फीसदी यानी 70 लाख लोग गैर-गुजराती हैं और ये सभी हिंदी भाषी क्षेत्रों जैसे यूपी और बिहार से आते हैं। उद्योग के हितधारकों का कहना है कि श्रमिकों की अचानक अनुपस्थिति ने समूचे औद्योगिक गतिविधि और उत्पादनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
साणंद में स्थित औद्योगिक क्षेत्र श्रमिक पलायन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पिछले दशक में साणंद ने 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है और यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों से मजदूर आकर यहां काम कर रहे हैं। लेकिन हमलों के डर से पिछले 3-4 दिनों में करीब 4,000 प्रवासी मजदूर अपने-अपने राज्यों को पलायन कर चुके हैं।
साणंद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि गुजरात में बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों के पलायन से उत्पादन में 25 फीसदी की गिरावट आई है। प्रवासी श्रमिकों के पलायन का सबसे ज्यादा असर मध्यम और छोटे उद्योगों पर पड़ा है, क्योंकि इनके स्वचालित मशीनों की व्यवस्था नहीं है। यह उद्योग पूरी तरह से श्रमिकों पर ही आश्रित हैं।
मेहसाणा, कड़ी, कलोल और हिम्मतनगर में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। यहां भी प्लास्टिक, वस्त्र और इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों ने गुजरात छोड़ना शुरू कर दिया है।
मेहसाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सचिव चिराग पटेल ने बताया कि मेहसाणा औद्योगिक क्षेत्र की 285 इकाइयों में 3000 से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं। इनमें से अधिकतर बिहार-यूपी जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों से हैं, लेकिन हमलों के डर से अब वो धीरे-धीरे गुजरात छोड़कर जा रहे हैं। 400 से ज्यादा लोग तो डर की वजह से पहले ही पलायन कर चुके हैं।
श्रमिकों की भारी कमी की वजह से राज्य की कई फैक्ट्रियों का काम ठप हो गया है। डर के मारे लोग या तो अपने-अपने राज्यों को पलायन कर चुके हैं या कहीं छुपे हुए हैं। कई फैक्ट्रियों के मालिकों ने इस समस्या से जल्द निजात पाने के लिए सरकार से गुहार लगाई है। सरकार का कहना है कि जल्द ही स्थिति पर काबू पा लिया जाएगा।