जनजीवन ब्यूरो
उज्जैन। 19-वर्षीय एमबीबीएस की छात्रा नम्रता दामोर की तीन साल पहले हुई मौत से अब परदा उठने लगा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘गला घोंटकर’ मारे जाने की बात सामने आई है । पुलिस पहले नम्रता की मौत की जांच दोबारा शुरु करने की बात की थी लेकिन अब यू-टर्न ले लिया है। आईजी ने कहा है कि इस मामले में फिलहाल कोई नयी जांच शुरू नहीं की जा रही है.
नम्रता की पोस्टमार्टम करने वाले तीन डॉक्टरों में से एक बीबी पुरोहित ने कहा, “उसकी हत्या की गई थी… उसकी मौत के प्राकृतिक होने का एक प्रतिशत भी चांस नहीं है…” नम्रता दामोर की मौत का किस्सा दोबारा सुर्खियों में पिछले दिनों तब आया, जब उसके पिता का साक्षात्कार करने के कुछ ही मिनट बाद एक टीवी पत्रकार की मौत हो गई।
नम्रता का शव 7 जनवरी, 2012 में उज्जैन में रेल की पटरियों के पास पड़ा मिला था। वर्ष 2014 में जब पुलिस ने मामले की क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल की, तो उन्होंने इसे खुदकुशी बताया, जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से बिल्कुल उलट था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि, नम्रता की मौत गला घोंटकर की गई थी। डॉ बीबी पुरोहित ने कहा, “पोस्टमार्टम करने वाले पैनल में शामिल हम तीनों डॉक्टरों को 25-25 साल से भी ज़्यादा का तजुर्बा है… उसकी (नम्रता की) नाक और मुंह पर खरोंचें थीं, जिससे संकेत मिलता है कि उसका गला दबाया गया था…”
इस पोस्टमार्टम के दो साल बाद पुलिस ने कहा कि छात्रा ट्रेन से गिर गई थी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोहर वर्मा ने कहा, “हमने उसकी मौत की जांच की, और फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर सीन को री-क्रिएट किया… हमें ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे हत्या किए जाने के संकेत मिल सकें… अगर कोई नए सबूत सामने आते हैं, हम दोबारा जांच कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल कुछ भी ऐसा नही है…”
मेडिकल की दूसरे वर्ष की छात्रा नम्रता कथित रूप से उन आवेदकों में शामिल थी, जिन्होंने गलत तरीकों से मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की थी। इस परीक्षा को पास करने के लिए लाखों आवेदकों ने राजनेताओं और नौकरशाहों को कथित रूप से रिश्वत दी थी, जिन्होंने किन्हीं और लोगों को परीक्षा में बिठाकर उत्तर-पुस्तिकाएं लिखने दीं।
पिछले शनिवार को पत्रकार अक्षय सिंह झाबुआ स्थित नम्रता के घर में उसके पिता से बातचीत कर रहे थे, तभी उनके मुंह से झाग निकलने लगा, और वह गिर पड़े। डॉक्टरों का कहना था कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, लेकिन अक्षय के परिवार के विरोध के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में मौत के कारणों की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 से अब तक इस घोटाले से जुड़े 49 लोगों की मौत हो चुकी हैं, और कारणों मे सड़क हादसों से लेकर खुदकुशी तक और जहरीली शराब से लेकर दिल का दौरा पड़ने तक शामिल हैं।
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