जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । देश में जांच प्रयोगशालाओं की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव प्रीति सूदन ने कहा कि भारतीय फार्माकोपिया आयोग एकमात्र संस्थान है जो WHO के मानक का पालन करता है। सूदन भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) 23 से 25 अक्टूबर चलने वाले डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन में शामिल क्वालिटी कंट्रोल लेबोरेट्रीज़ (क्यूसीएल) के लिए छठे अर्द्धवार्षिक सेमिनार का उद्घाटन कर रही थीं।
दुनिया के विभिन्न देशों से 60 से ज्यादा प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों व आईपीसी वैज्ञानिकों के साथ-साथ यहां कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ता भी सेमिनार में हिस्सा ले रहे हैं।
सेमिनार में डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन योजना में शामिल क्यूसीएल की नेटवर्किंग को और मजबूत बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप क्यूसीएल को ढालने के लिए किस तरह के प्रशिक्षण को लाया जाए, इस पर भी बात होगी। इससे भारत की अन्य लेबोरेट्रीज को डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन स्कीम के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। साथ ही उनकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी। कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ के दवाओं व लेबोरेट्रीज को लेकर बनाए गए मानकों पर गहन विचार विमर्श होगा।
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है जो कि दवाओं की गुणवत्ता एवं उसके मानक निर्धारित करता है। अगर किसी भी दवाई में कोई कमी पाई जाती है या फिर वह मानकों व नियमों के अनुरूप नहीं होती तो आईपीसी उस पर बैन लगाने की सिफारिश कर सकता है। इसके अलावा आईपीसी हर वर्ष इंडियन फार्माकोपिया (आईपी) नाम की प्रसिद्ध किताब प्रकाशित करता है। हर वर्ष उसकी अपडेटेड वर्जन निकालने की जिम्मेदारी इस संस्था की है। यह किताब मेडिसिन प्रेसक्रिप्शन से संबंधित एक संदर्भ पुस्तक है। इसके अलावा ये संस्था दवाओं के क्षेत्र में देश-विदेश में कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती है।