जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । देश की टॉप जांच एजेंसी सीबीआई के 2 शीर्ष अफसरों के झगड़े में बुधवार को कई नाटकीय मोड़ आए। सीबीआई में नंबर टू राकेश अस्थाना के बॉस आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी से भ्रष्टाचार की शिकायत, फिर अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी और उगाही के आरोपों में CBI की FIR, अस्थाना का इसके खिलाफ कोर्ट जाना और आखिर में सरकार का सीधा दखल। सरकार ने दोनों शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजकर महकमे में वरिष्ठता क्रम में नीचे के अफसर एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर की जिम्मेदारी दे दी और अब इसके खिलाफ वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
उधर, विपक्ष भी सरकार के खिलाफ मुखर हो चुका है, दूसरी तरफ सरकार अपने फैसले का यह कहकर बचाव कर रही है कि देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए विवाद में घिरे शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजा जाना जरूरी है। आइए इस पूरे मामले को 5 अलग-अलग पहलुओं से समझने की कोशिश करते हैं।
1- क्या है विवाद?
विवाद के केंद्र में मीट कारोबारी मोइन कुरैशी है और दोनों छोर पर सीबीआई के 2 सबसे बड़े अफसर डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना हैं। दोनों अफसरों को सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है और अंतरिम डायरेक्टर के तौर पर एम. नागेश्वर राव को नियुक्त किया है। वर्मा और अस्थाना के रिश्ते तभी से तल्खी भरे हैं जब पहले ने दूसरे के स्पेशल डायरेक्टर पद पर नियुक्ति को लेकर आपत्ति जताई थी। बाद में अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रटरी से वर्मा की शिकायत की और उनपर कुरैशी के करीबी सहयोगी सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया। 15 अक्टूबर को सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप में केस दर्ज किया। खास बात यह है कि FIR में अस्थाना पर सतीश बाबू सना से 3 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। FIR के 4 दिन बाद अस्थाना ने सीवीसी को खत लिखकर वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। बाद में अस्थाना ने FIR को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी और मामले में आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इस बीच सीबीआई ने अस्थाना की टीम के माने जाने वाले अपने ही महकमे के डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
दोनों शीर्ष अफसरों की लड़ाई का विवाद तो था ही, अब दोनों को छुट्टी पर भेजे जाने से भी एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है, जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
2- क्या ऐक्शन?
देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी का अपने ही दफ्तर पर छापेमारी, अपने ही दूसरे सबसे बड़े अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में FIR दर्ज होने और डीएसपी देवेंद्र की गिरफ्तारी से एजेंसी की साख प्रभावित हो रही थी। इससे हरकत में आई केंद्र सरकार ने आनन-फानन में दोनों शीर्ष अफसरों वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया। 3 अडिशनल डायरेक्टरों के बजाय उनसे जूनियर जॉइंट डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके अलावा सरकार ने बुधवार को एजेंसी में तमाम अफसरों के ताबड़तोड़ तबादले के आदेश दिए। इनमें से कई अफसर अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच में शामिल थे।
3- क्या रिऐक्शन?
पूरे विवाद पर विपक्ष खासकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अस्थाना के खिलाफ FIR की पुष्टि के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सीबीआई को बदले की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। गुजरात काडर के आईपीएस अफसर अस्थाना को पीएम मोदी का करीबी बताते हुए FIR पर राहुल ने कटाक्ष किया और प्रतिष्ठित एजेंसी को ध्वस्त करने का आरोप लगाया। अब वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए गैरकानूनी बताया है।
4- क्या सवाल?
पूरे मामले को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। कांग्रेस ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को असंवैधानिक ठहराया है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने राफेलफोबिया से बचने, अपने गलत कामों पर पर्दा डालने के लिए ऐसा किया है। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ने विपक्ष के नेता या सीजेआई से पूछे बिना सीबीआई चीफ को छुट्टी पर भेजे जाने को गैरकानूनी बताया है। नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इसके लिए सरकार की आलोचना की है और सुप्रीम कोर्ट में जाने के संकेत दिए हैं। उधर, वर्मा ने सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
5- क्या सफाई
सरकार ने वर्मा और अस्थाना दोनों को ही छुट्टी पर भेजे जाने के अपने फैसले का बचाव किया है। फैसले पर उठ रहे सवालों को शांत करने के लिए सरकार ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को मैदान में उतारा। जेटली ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की छवि को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीवीसी की सिफारिश के बाद केंद्र ने अधिकारियों को हटाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि सीवीसी की अनुशंसा पर एक एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी। केंद्र ने यह भी साफ किया अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी।