जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। पीठ में जस्टिस गोगोई के साथ जस्टिस एके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे। आलोक वर्मा का केस नंबर 41 था। आलोक वर्मा की तरफ से वकील फली एस नरीमन तो अस्थाना की तरफ से मुकुल रोहतगी न्यायालय में पेश हुए। वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के 23 अक्तूबर के फैसले और नागेश्वर राव को सीबीआई प्रमुख बनाने को न्यायालय में चुनौती दी थी।
सीबीआई प्रमुख वर्मा के वकील फली एस नरिमन ने न्यायालय को बताया कि इस मामले को कोर्ट में इसलिए लाया गया है ताकि यह जाना जा सके कि क्या सीबीआई निदेशक के दो वर्ष के कार्यकाल को किसी भी समय समाप्त किया जा सकता है? सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सीवीसी को आदेश देते हुए कहा कि वह अपनी जांच 10 दिनों या दो हफ्तों के भीतर पूरी करे। इस जांच को सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में पूरा किया जाना होगा। आलोक वर्मा कोई फैसले न लें, केवल रूटीन कार्य करते रहें। उच्चतम न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के ही सेवानिवृत्त जस्टिस एके पटनायक की निगरानी में सीवीसी से जांच पूरी करने के लिए कहा है।
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने न्यायलय से कहा कि दो हफ्ते जांच पूरी करने करने के लिए काफी नहीं हैं। साथ ही उन्होंने उच्चतम न्यायालय के जज की अध्यक्षता में सीवीसी की जांच का भी विरोध किया। न्यायालय ने सीबीआई से कहा है कि वह 23 अक्तूबर से लेकर अबतक की सभी आदेशों की जानकारी बंद लिफाफे में अदालत को सौंपे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अतंरिम निदेशक नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे तथा केंद्र सरकार से पूरे मामले की रिपोर्ट भी मांगी है। अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि आलोक वर्मा दिवाली तक अपने दफ्तर नहीं जाएंगे। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगा।
भारत के 14वें अटार्नी जनरल रहे मुकुल रोहतगी देश के जाने माने वकीलों में शामिल हैं। इन्होंने 19 जून 2014 को कार्यभार संभाला था। रोहतगी ने 2002 के गुजरात दंगे के अलवा फर्जी मुठभेड़ मामले में भी राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा है। मुकुल रोहतगी कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार का पक्ष रख चुके हैं।
वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन मई 1972 से 1015 तक भारत के एडिशनल सालिसिटर जनरल रहे हैं। इनके कार्यों को देखते हुए साल 1991 में पद्मभूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। यह वर्ष 1999 से 2005 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रह चुके हैं।
वर्मा ने मंगलवार देर रात 2 बजे छुट्टी पर भेजे जाने के बाद बुधवार सुबह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। वहीं सीबीआई निदेशक वर्मा को बहाल करने की मांग को लेकर कांग्रेस आज देशभर में सीबीआई दफ्तरों के बाहर धरना प्रदर्शन करने की तैयारी में है। इस बारे में ट्वीट करते हुए गांधी ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सीजीओ परिसर में सीबीआई मुख्यालय के बाहर पार्टी के प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे।