जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में नीतीश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या बच्चे देश के नागरिक नहीं हैं। कोर्ट की यह फटकार सही तरीके से एफआईआर दर्ज नहीं होने पर लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये को अमानवीय और शर्मनाक बताया।
मंगलवार को इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार की मानसिकता दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चों के साथ इतना बड़ा हादसा हुआ और सरकार कुछ कर नहीं रही है। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी में यौन शोषण और वित्तीय गड़बड़ी का जिक्र ही नहीं किया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार 24 घंटे के भीतर प्राथमिकी में नई धाराएं जोड़े। बिहार सरकार की अभी तक की कार्रवाई को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। प्राथमिकी में सेक्शन 377 नहीं लगाने पर नाराजगी जताते हुए शीर्ष अदालत ने मुख्य सचिव को बुधवार 2.00 बजे तक गलती सुधारने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि शेल्टर होम के खिलाफ रिपोर्ट मिलने के बाद भी सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बेहद तल्ख तीखी टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को फटकार लगाते हुए राज्य के डीजीपी को पेश होने का आदेश भी दिया था। कोर्ट ने कहा, ‘बिहार सरकार मामले के आरोपियों के खिलाफ नरम रुख अपना रही है। यह शर्मनाक है।’ कोर्ट ने पूछा क्या ये बच्चे देश के नागरिक नहीं हैं?
बिहार सरकार ने कोर्ट के सामने गलती मानते हुए भरोसा दिलाया कि प्राथमिकी की गलती को जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। राज्य सरकार ने इस गलती को सुधारने के लिए अंतिम बार मोहलत मांगी है।