जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में देशभर से जुटे किसान संसद की तरफ कूच कर चुके हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के बैनर तले देशभर के किसान गुरुवार से ही राजधानी में डटे हुए हैं। AIKSCC का दावा है कि उसके साथ किसानों और कृषि मजदूरों के 207 संगठन जुड़े हुए हैं। उनकी मांग है कि सरकार खेती-बाड़ी को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव करे।
क्या है किसानों की मांग?
किसानों की प्रमुख मांग कृषि नीति में बदलाव है। किसानों की मांग है कि उनकी समस्याओं को लेकर संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाए। विशेष सत्र में किसानों की समस्याओं पर बहस हो और 2 कानून पास किए जाएं। एक फसलों के उचित दाम की गारंटी का कानून और दूसरा किसानों को कर्जमुक्त करने का कानून। इस तरह किसानों की प्रमुख मांग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वाजिब बढ़ोतरी और एकमुश्त कर्जमाफी है।
बिल का ड्राफ्ट भी कर रखा है तैयार
किसानों की मांग है उनकी समस्याओं को लेकर संसद का कम से कम 3 हफ्ते का विशेष सत्र बुलाया जाए, जिसमें कृषि संकट और इसके मुद्दों पर बहस हो। इसके लिए किसानों ने 2 बिलों का ड्राफ्ट भी तैयार किया है। एक ड्राफ्ट फसल के उचित दाम की गारंटी से जुड़ा हुआ है तो दूसरा ड्राफ्ट किसानों का कर्ज माफ करने से जुड़ा है। किसानों की मांग है कि संसद का जो विशेष सत्र चले, उसमें उनके दोनों बिलों को पास किया जाए। फिर स्वामीनाथन आयोग पर बहस हो, जिसमें सिर्फ किसानों के कर्ज या फसल की कीमतों पर ही नहीं, बल्कि समूचे कृषि संकट पर बात की गई है। इस तरह किसान कृषि को लेकर नीतिगत बदलाव की मांग कर रहे हैं।
किसानों की मांगों का समर्थन करने वाले वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता पी. साइनाथ के शब्दों में, ‘विशेष सत्र में खेती में होने वाले पब्लिक इन्वेस्टमेंट और खेती से निजीकरण की वापसी पर बहस हो। इस पर बात हो कि अगले 30 बरसों के अंदर देश में कैसी खेती चाहिए, हमें कॉरपोरेट संचालित खेती चाहिए या सामुदायिक खेती?’
अलग और खास है इस बार का किसान आंदोलन
इस बार किसान आंदोलन में मध्यवर्ग के लोग जैसे कि डॉक्टर्स फॉर फार्मर्स, लॉयर्स फॉर फार्मर्स, टेकीज फॉर फार्मर्स, नैशन फॉर फार्मर्स के बैनर तले हिस्सा ले रहे हैं। मध्य वर्ग ने नैशन फॉर फार्मर्स के नाम से एक फोरम बनाया है। यह आइडिया पिछले दिनों किसानों के मुंबई-नासिक मार्च से निकला। मुंबई में किसानों का साथ देने के लिए मिडल क्लास के बहुत सारे लोग आजाद मैदान में अपने-आप आ गए थे। फिर किसानों के लिए देशभर में कई सारे ग्रुप्स बने।