जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीत के रथ को रोकने का दावा करने वाले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की हवा बिहार में हुए विधान परिषद के चुनाव में निकल गई है। इसे सेमीफानल चुनाव कहा जा रहा था। हालांकि इस चुनाव से न तो केंद्र की मोदी सरकार पर कोई असर पड़ने वाला है और न ही राज्य की नीतीश कुमार की सरकार पर। लेकिन इस परिणाम का असर लालू-नीतीश- कांग्रेस महागठबंधन पर जरुर पड़ेगा। माना जा रहा है कि विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस व नीतीश इस जीत हार की समीक्षा जरुर करेंगे।
सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है। जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया है लेकिन लालू प्रसाद को न्योता नहीं भेजा गया है। लालू खेमे से यह कहा जा रहा है कि लालू सोमवार को खुद पटना में इफ्तार पार्टी दे रहे हैं इसलिए वे नहीं आ रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो सोनिया- नीतीश की मुलाकात में इस चुनाव चर्चा की जाएगी। बताया जाता है कि कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी लालू के साथ गठबंधन को लेकर अंदर से खुश नहीं हैं। महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तय करने से पहले लालू सोनिया गांधी से मुलाकात करना चाहते थे लेकिन उन्होंने समय नहीं दिया था।
बिहार में हुए विधान परिषद के चुनाव चौंकाने वाले हैं। भाजपा विरोधी तमाम दल यह दंभ भर रहे है कि बिहार विधानसभा चुनाव देश की दशा और दिशा तय करेगी। लेकिन विधान परिषद के चुनाव ने ऐसे लोगों को करारा झटका दिया है। विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में से 13 सीटों पर भाजपा गठबंधन को बढ़èत मिली है और लालू-नीतीश और कांग्रेस के हिस्से में 11 सीटें आई है जबकि एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई है।
जबकि पिछली बार 24 में 15 सीटें नीतीश की जदयू के पास थी, लालू के पास 3 सीटें थी। एक सीट निर्दलीय को मिली थी जो कि जदयू के समर्थक थे बाकीपांच सीटें ही भाजपा के पास थी।
विधान परिषद के इस चुनाव में बिहार के सभी 38 जिलों में वोट डाले गए थे। राज्य में विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकार वाली सीटों की संख्या 24 है। चुनाव में मुखिया, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, विधायक और सांसद वोटर होते है, जिनकी कुल संख्या करीब एक लाख 4० हजार हैं। इस चुनाव के वोटर आम चुनाव के वोटरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, इस लिहाज से इस नतीजे को अहम माना जा रहा है।
भाजपा 18 सीटों पर लड़कर 12 सीटें अपने नाम की है। 4 सीटों पर पासवान की पार्टी ने उम्मीदवार उतारे थे जिसे एक सीट मिली है और दो सीटें लड़कर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी एक पर जीती है। नीतीश गठबंधन की बात करें तो 1०-1० सीटों पर लड़कर जेडीयू को 6 और लालू की पार्टी को 2 सीटें मिली है। तीन सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस को एक सीट मिली जबकि एनसीपी एक सीट पर लड़ी और हार गई है।