जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । भारतीय इतिहास में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। सोमवार को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। इस अप्रत्याशित कदम की वजह को लेकर को लेकर पटेल ने कहा है कि उन्होंने निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई में अपनी सेवाएं देकर मैं खुद को सम्मानित महसूस करता हूं।
आरबीआई की स्वायत्ता पर क्या पड़ेगा असर?
पटेल के इस कदम से आरबीआई की स्वायत्ता पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि सरकार के पास एक तरह से केंद्रीय बैंक का पूरा नियंत्रण चला जाएगा। जिन कारणों से उर्जित पटेल को गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा उनमें सरकार द्वारा सेक्शन 7 का इस्तेमाल करने की बात कहना और छोटे उद्योगों के लिए लोन आसान बनाना, कर्ज और फंड की समस्या से जूझ रहे 11 सरकारी बैंकों को कर्ज देने से रोकने पर राहत और शैडो लेंडर्स को ज्यादा लिक्विडिटी देना शामिल है।
आरबीआई भी सरकार के रवैये को लेकर आक्रामक है। उसका कहना है कि क्या सरकार बैंक कि स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है। इसके लिए उसने 2010 के अर्जेंटीना के वित्तीय बाजार का भी उदाहरण दिया है।
उर्जित पटेल ने इस्तीफे में कहा है, ‘व्यक्तिगत कारणों की वजह से मैंने मौजूदा पद तत्काल प्रभाव से छोड़ने का फैसला किया है। वर्षों तक रिजर्व बैंक में विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ मुझे रिजर्व बैंक में सेवा का मौका मिला, यह मेरे लिए सम्मान की बात है।’ गौरतलब है कि उर्जित पटेल का कार्यकाल सितंबर 2019 में खत्म होने वाला था।
उन्होंने आगे लिखा, ‘आरबीआई स्टाफ, ऑफिसर्स और मैनेजमेंट के समर्थन और कड़ी मेहनत से बैंक ने हाल के वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। मैं इस मौके पर अपने साथियों और आरबीआई के डायरेक्टर्स के प्रति कृतज्ञता जाहिर करता हूं और उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।’ रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर केंद्र सरकार के कथित हस्तक्षेप को लेकर पिछले कई दिनों से बहस चल रही थी।
सितंबर 2016 में बने थे गवर्नर
पटेल सितंबर 2016 में रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर नियुक्त किए गए थे। वह तीन साल के लिए नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वह रिजर्व बैंक में ही डेप्युटी गवर्नर थे।
सरकार पर हमलावर होगा विपक्ष
आपको बता दें कि आरबीआई गवर्नर ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब एक दिन बाद ही संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। सोमवार को ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी की है। राफेल, बेरोजगारी, किसान समेत कई मसलों को लेकर पहले से ही केंद्र पर हमलावर विपक्ष अब आरबीआई के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है।