जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली / लंदन । शराब कारोबारी विजय माल्या को लंदन कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। आपको बता दें कि अगुस्टा वेस्टलैंड केस में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को प्रत्यर्पित कर भारत लाने के बाद सरकार के लिए यह दूसरी अच्छी खबर आई है।
CBI ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अब माल्या के प्रत्यर्पण का मामला सेक्रटरी ऑफ स्टेट के पास भेज दिया गया है। किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख रहे 62 वर्षीय माल्या पर करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर है। लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में जज एम्मा अर्बथनॉट ने यह फैसला सुनाया।
माल्या ने ये बातें लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट (Westminster Court) के बाहर कही। ऐसी उम्मीद है कि करीब एक साल लंबे चले ट्रायल के बाद कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुना सकता है। 62 वर्षीय पूर्व किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या की पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट (Extradation Warrant) पर हुई गिरफ्तार के बाद से जमानत पर हैं।
ऐसी उम्मीद है कि चीफ मजिस्ट्रेट जज एम्मा एर्बुथनोट की तरफ से सीबीआई और ईडी की तरफ से लगाए गए आरोप के बाद भारत को प्रत्यर्पण करने पर अपना फैसला सुना सकते हैं।
इसके बाद ये फैसला यूके के गृह विभाग के पास जाएगा। वहां पर गृह सचिव साजिद जावेद इस फैसले पर अपना आदेश पास करेंगे। दोनों पक्षों को यह अधिकार होगा कि वे चीफ मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूके के हाईकोर्ट में अपील दायर करें।
माल्या ने बैकों को पैसे वापसी की बात पर जोर देते हुए कहा- “कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने मेरी तरफ से पैसे वापस करने के प्रस्ताव का प्रत्यर्पण केस से कोई संबंध नहीं है। कोई भी फर्जी प्रस्ताव कर कोर्ट के कानून का अनादर नहीं कर सकता है। ईडी ने जिन संपत्तियों को कुर्क किया है वे फर्जी नहीं हो सकते।”
मुश्किलों से घिरे शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा- “उनके पास संपत्ति ऋण चुकाने के लिए काफी है और वे उसी पर अपने ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा- मैं इस बात को खारिज करता हूं कि मैनें चुराए (पैसे) हैं।” उन्होंने बतायाकि उनकी लीगल टीम फैसले की समीक्षा करेगी और उसके बाद सही कदम उठाया जाएगा।
ऊपरी अदालत जाने का है विकल्प
दरअसल, जज को यह फैसला सुनाना था कि क्या माल्या का भारत प्रत्यर्पण किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लगाए गए आरोपों पर मुकदमा चलना चाहिए। अब केस को ब्रिटेन के गृह विभाग के पास भेजा गया है और गृह मंत्री को इस पर फैसला लेना है। गौर करने वाली बात यह है कि माल्या इस फैसले को ब्रिटिश उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।
फैसले से पहले माल्या ने क्या कहा?
गौरतलब है कि माल्या अपने खिलाफ मामले को राजनीति से प्रेरित बताता रहा है। फैसले से पहले माल्या ने ट्वीट कर कहा, ‘मैंने एक भी पैसे का कर्ज नहीं लिया। कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस ने लिया था। कारोबारी विफलता की वजह से यह पैसा डूबा है। गारंटी देने का मतलब यह नहीं है कि मुझे धोखेबाज बताया जाए।’ माल्या ने कहा कि मैंने मूल राशि का 100 प्रतिशत लौटाने की पेशकश की है। इसे स्वीकार किया जाए। आपको बता दें कि माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण का मामला मैजिस्ट्रेट की अदालत में पिछले साल 4 दिसंबर को शुरू हुआ था।