जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 से पूर्व सेमीफाइनल में मिली करारी हार के कारणों का पता लगाने के लिए भाजपा ने मिशन 2019 के लिए सारी ताकत झोंकने का मन बनाया है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी पदाधिकारियों, राज्य प्रभारियों और संगठन मंत्रियों के साथ राष्ट्रव्यापी बूथ योजना पर मंथन करेंगे।
तीन महीने पहले पार्टी की दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रव्यापी बूथ योजना तैयार की गई थी। मंगलवार को आए पांच राज्यों के नतीजे पर भी बैठक में चर्चा होगी। खासतौर से पार्टी नाराज अगड़ों द्वारा बड़ी संख्या में नोटा को विकल्प के रूप में चुनने, किसान वर्ग के बीच बढ़ती नाराजगी और अचानक बढ़े कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सियासी कद के काट की रणनीति भी तैयार करेगी।
गौरतलब है कि खासतौर से पार्टीशासित राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 13 लाख मतदाताओं ने नोटा को विकल्प के रूप में आजमाया। इनमें से ज्यादातर भाजपा समर्थक मतदाता थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर नोटा का इस्तेमाल कम होतो तो निश्चित रूप से न सिर्फ मध्यप्रदेश की सरकार बचती, बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश की की तरह ही कांटे का मुकाबला होता।
क्या है बूथ योजना
कार्यकारिणी में तैयार बूथ योजना में केंद्रीय स्तर से ले कर राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों का बूथों को चिन्हित कर रात्री प्रवास सुनिश्चित किया गया था। इसमें समर्थक मतदाताओं का नाम हर हाल में नई मतदाता सूची में दर्ज कराने, बूथों को कमजोरी के आधार पर चार भागों में बांटने और इसकी जिम्मेदारी तय करने की रूपरेखा बनी थी। तीन महीने में हर बूथ पर छह कार्यक्रम कराने और दोपहिया वाहन वाले कार्यकर्ताओं की सूची भी नेतृत्व ने मांगी थी। तब इस योजना के तहत नेतृत्व ने हर बूथ पर पांच चुनाव निशान की पेटिंग कराने केलिए कहा था। बैठक में इसकी प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
यह है बैठक का उद्येश्य
बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक में पीएम के भी शामिल रहने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि नतीजे से लगे झटके के तत्काल बाद मैराथन बैठक बुला कर मोदी-शाह पार्टी का आत्मविश्वास बनाए रखने के अलावा अभी से लोकसभा चुनाव की ठोस तैयारी शुरू कर देना चाहते हैं। बैठक में नेतृत्व देखेग कि कार्यकारिणी में तैयार बूथ योजना की कहां तक प्रगति हुई।
नाराज अगड़ों-किसानों को मनाने की योजना
पार्टी की रणनीति दलित एक्ट को संसद में मूल स्वरूप में फिर से पारित करने से अगड़ों और राहत के अभाव केकारण किसान वर्ग में उपजी नाराजगी को दूर करने की है। खासतौर से सरकार जहां किसान वर्ग को राहत देने के लिए कई अहम घोषणा कर सकती है, वहीं अगड़ों को साधने का कोई बड़ा सियासी दांव चल सकती है।