जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । 1984 सिख दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दंगा में दिल्ली छावनी के राजनगर पालम इलाके में एक नवंबर 1984 को पांच सिखों की हत्या हो गई थी। अदालती फैसले के खिलाफ सात अपीलों पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है और सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने का समय दिया है। इससे पहले निचली अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया था।
साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अन्य दो दोषियों की सजा 3 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी है। सज्जन कुमार के अलावा अदालत ने कैप्टन भागमल, पूर्व पार्षद बलवान यादव और गिरधारी लाल को भी उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहाः
सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान बहुत सारे लोगों का कत्लेआम किया गया था। उसके ठीक 37 साल बाद दिल्ली फिर वैसी ही त्रासदी का गवाह बनी। आरोपी को राजनीतिक लाभ मिला और वह ट्रायल से बचता रहा।”
अदालत ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह एक असाधारण केस था जिसमें सज्जन कुमार के खिलाफ सामान्य परिस्थितियों में कार्यवाही करना बहुत मुश्किल था। इसका कारण ये है कि बड़े पैमाने पर सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे मामलों को रिकॉर्ड में न लेकर इन्हें दबाए जाने का प्रयास किया जाता रहा।
अदालत ने आगे कहा कि, जो केस रजिस्टर भी थे उनकी जांच ठीक से नहीं हुई और जिन मामलों में जांच आगे भी बढ़ती तो उन्हें भी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचने दिया गया। यहां तक कि बचाव पक्ष भी इस बात से इंकार नहीं करेगा कि जहां तक एफआईआर की बात है क्लोजर रिपोर्ट तैयार कर ली गई थी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या के बाद अविश्वसनीय रूप से 2700 सिखों का कत्लेआम सिर्फ दिल्ली में कर दिया गया। न्याय व्यवस्था निश्चित रूप से धराशायी हुई जिसके बाद लोगों ने कानून अपने हाथ में ले लिया। इसकी टीस आज भी महसूस की जाती है।
अदालत ने कहा कि, 1984 में 1 से 4 नवंबर तक दिल्ली और पूरे देश में सिखों का नरसंहार हुआ जो राजनीतिक अभिनेताओं द्वारा रचा गया था और कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियों के सहयोग से हुआ, ये अपने आप में ”मानवता के खिलाफ अपराध” है।
इसके बाद अदालत ने कहा कि, सज्जन कुमार अभी से जब तक आत्मसमर्पण नहीं कर देते दिल्ली नहीं छोड़ सकते और उन्हें तुरंत सीबीआई को अपना पता और फोन नंबर देना होगा ताकि उनसे संपर्क किया जा सके।
जानिए कब क्या हुआ
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद फैले सिख विरोधी दंगों में लगभग पांच हजार निर्दोष सिखों की हत्या की बात कही जाती है। इस घटना के लगभग 34 साल बीत जाने के बाद सिखों को न्याय मिला है। हालांकि सिख समुदाय कांग्रेस के नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कानपुर में भी दंगों के दौरान 127 सिखों की हत्या कर दी गई थी। सिखों का कहना है कि एक नवंबर को कानपुर में सिखों का कत्लेआम किया गया था। लेकिन इस मामले में बहुत दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। बाद में जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत न होने की बात कहकर केस खत्म कर दिया गया। सिखों का कहना है कि यह शर्मनाक है कि 127 लोगों की हत्या हो गई और पुलिस को कोई सबूत नहीं मिलता।