जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : भूपेश सिंह बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें शपथ दिलाई। वहीं टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू ने मंत्री पद की शपथ ली है।उनके साथ टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने मंत्रिपद के लिए शपथ ग्रहण किया। रायपुर में शपथ ग्रहण समारोह शुरू हो चुका है। मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला सहित कई दिग्गज नेता मौजूद हैं।
लगातार बारिश के कारण रायपुर में इंडोर स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह किया गया। शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेजा जुटे। इसके अलावा विपक्षी दलों के दिग्गज नेता भी यहां दिखे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेश बघेल ने बुढ़ातालाब के करीब बलबीर जुनेजा इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पहले उनका कार्यक्रम साइंस कालेज मैदान में तय था। बारिश के कारण स्थान में परिवर्तन करना पड़ा है। अधिकारियों ने बताया कि साइंस कालेज मैदान में शपथग्रहण समारोह की तैयारी कर ली गई थी। लेकिन आज सुबह से लगतार बारिश के कारण इंडोर स्टेडियम में तैयारी शुरू की गई। बघेल ने इसस पहले इंडोर स्टेडियम का दौरा किया तथा वहां तैयारियों का जायजा लिया।
भूपेश बघेल के शपथग्रहण समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, पीएल पुनिया, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित कई बड़े नेता मौजूद थे। इससे पहले रविवार को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल ने विधायक दल का नेता चुने जाने पर राजभवन जाकर सरकार गठन का दावा पेश किया था। राज्यपाल के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल के सचिव सुरेंद्र कुमार जायसवाल ने बघेल का दावापत्र ग्रहण किया। उसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 17 दिसंबर को भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। बता दें कि 1 नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद अजीत जोगी वहां पहले मुख्यमंत्री बने थे। वह 9 नवंबर 2000 से 6 दिसंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद बीजेपी के रमन सिंह 7 दिसंबर 2003 को राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने और लगातार तीन बार इस पद पर बने रहे। इस बार बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा और बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत हुआ।