जनजीवन ब्यूरो / मुंबई । सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को आज बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि सबूतों की कमी की वजह से आरोपियों को मामले से रिहा किया जाता है। कोर्ट ने गवाहों के बयान से पलटने पर यह भी कहा कि अगर कोई बयान न दे तो इसमें पुलिस की गलती नहीं है।
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में स्पेशल सीबीआई जज ने अपने आदेश में कहा कि सभी गवाह और सबूत साजिश और हत्या को साबित करने के लिए काफी नहीं थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले से जुड़े परिस्थितिजन्य सबूत भी पर्याप्त नहीं है। सीबीआई कोर्ट के अनुसार, ‘तुलसीराम प्रजापति को एक साजिश के तहत मारा गया, यह आरोप भी सही नहीं है।’
सीबीआई कोर्ट के जज ने कहा, ‘सरकारी मशीनरी और अभियोजन पक्ष ने काफी प्रयास किया और 210 गवाहों को सामने लाया गया लेकिन उनसे कोई संतोषजनक सबूत नहीं मिल पाया और कई गवाह अपने बयान से पलट गए। इसमें अभियोजक की कोई गलती नहीं है अगर गवाह नहीं बोलते हैं।’
बता दें कि गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के नजदीक एक एनकाउंटर में मध्य प्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था। इसके एक साल बाद 28 दिसंबर 2006 को सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। 2010 से इस मामले की जांच सीबीआई कर रहा था।
22 नवंबर को सीबीआई ने केस के 500 में से 210 गवाहों की जांच करके केस बंद किया था। इसके बाद 5 दिसंबर को सीबीआई के विशेष लोकअभियोजक बीपी राजू ने स्वीकार किया था अभियोजन के केस में कई लूपहोल थे और सीबीआई ने चार्जशीट जल्दबाजी में दाखिल की थी।
कब-कब क्या हुआ
26 नवंबर 2005- सोहराबुद्दीन शेख गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ द्वारा मुठभेड़ में मार गिराया गया.
उस पर एक प्रसिद्ध नेता की हत्या की साजिश रहने का आरोप था.
14 जनवरी 2006- सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने सीजेआई को पत्र लिखा. एनकाउंटर और सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी के लापता होने की शिकायत की.
22 जनवरी 2006- शिकायत गुजरात सरकार के पास भेजी गई.
27 जून 2006- गुजरात डीजीपी पीसी पांडे के आदेश पर मामले की प्रारंभिक पूछताछ शुरू हुई.
28 दिसंबर 2006- सोहराबुद्दीन गैंग का सदस्य तुलसीराम एनकाउंटर में मारा गया.
11 सितंबर 2007 – तुलसीराम की मां नर्मदाबाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर फेक एनकाउंटर का आरोप लगाया.
मार्च 2008- सोहराबुद्दीन केस गुजरात सीआईडी को सौंप दिया गया.
24 अप्रैल 2008- तीन आईपीएस अधिकारी- डीजी वंजारा, राजकुमार और दिनेश एनएन को गिरफ्तार किया गया.
16 जुलाई 2008- गुजरात सीआईडी ने चार्जशीट दाखिल कर एनकाउंटर को फेक बताया और तीनों अधिकारियों को आरोपी.
12 जनवरी 2010- सुप्रीम कोर्ट ने सीआईडी की चार्जशीट में विसंगतियां बताते हुए केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया.
1 फरवरी 2010- सीबीआई ने तुलसीराम का केस रजिस्टर किया.
23 जुलाई 2010 -सीबीआई ने सोहराबुद्दीन मामले में 38 आरोपियों ने नामों के साथ चार्जशीट दाखिल की. इसमें अमित शाह, राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया समेत कइयों के नाम.
27 सितंबर 2011- सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन केस ट्रायल को गुजरात से बाहर मुंबई ट्रांसफर कर दिया.
1 दिसंबर 2014- सोहराबुद्दीन केस के पीठासीन न्यायाधीश बीएस लोया का कार्डिअक अरेस्ट से निधन.
30 दिसंबर 2014- नए पीठासीन जज एमबी गोसवी ने अमित शाह को बरी कर दिया.
फरवरी-मार्च 2015- सोहराबुद्दीन केस के डीजी वंजारा समेत ज्यादातर आरोपी हुए रिहा
29 नवंबर 2017- ट्रायल दोबारा शुरू हुआ.
3 नवंबर 2018- सोहराबुद्दीन के करीबी और मुख्य गवाह आजम खान ने दिया बयान. आजम का आरोप- वंजारा के कहने पर सोहराबुद्दीन ने गुजरात के पूर्व गृहमंत्री हरेन पांड्या की हत्या की बात कबूली थी.
22 नवंबर 2018- सीबीआई ने केस के 500 में से 210 गवाहों की जांच करके केस बंद किया.
5 दिसंबर 2018- सीबीआई के विशेष लोकअभियोजक बीपी राजू ने स्वीकारा कि केस में कई लूपहोल, सीबीआई ने चार्जशीट जल्दी में दाखिल की.