जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। ललित मोदी गेट कांड, व्यापम घोटाले के बाद कांग्रेस ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जिस गुजरात मॉडल को लेकर ढिंढ़ोरा पीटा जा रहा है वह राज्य बच्चों के स्वास्थ्य विकास के मामले में काफी पीछे है। न तो बच्चों का टीकाकरण करवाया जा रहा है और न ही कुपोषण से बच्चों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह रिपोर्ट खुद मोदी सरकार की है जिसे दबाकर रखा गया है।
भाजपा विकास को लेकर गुजरात मॉडल का उदाहरण देती रही है। पूरे देश का विकास गुजरात मॉडल पर करवाने का दंभ भरती रही है। लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद नवंबर 2013 से मई 2014 तक करवाए गए केंद्र सरकार के सर्वेक्षण को लेकर कांग्रेस अब मोदी को घेर रही है। इस सर्वेक्षण में यूनीसेफ भी भागीदार थी। जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि अपने ही सर्वेक्षण को मोदी सरकार जारी नहीं कर रही है, क्योंकि रिपोर्ट में गुजरात मॉडल का पोल खुल रही है।
दो साल तक को जानलेवा रोग से बचाने के लिए लगाए जाने वाले टीके के मामले में गुजरात का स्थान पूरे देश में 21वें नंबर पर है जहां मात्र 56 फीसदी बच्चों को ही टीके लगाए जा सके हैं। जबकि केरल पहले स्थान पर है जहां 83 फीसदी बच्चों को टीके लगाए गए है। यहां तक की जिस बिहार को पिछड़ेपन में शुमार किया जाता है वहां 60 फीसदी बच्चों को टीके लगाए गए हैं । पूरे देश का औसत 65 फीसदी है। तमिलनाडु और कर्नाटक तो विकास के मामले में आगे है ही।
कुपोषित बच्चों को लेकर भी कांग्रेस ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि राष्ट्रीय औसत से गुजरात का ज्यादा है। कुपोषण (वजन) के मामले में भी देश का औसत वर्ष 2004 से 2014 के बीच 42 फीसद से घटकर 29 फीसद हो गया, जबकि यह गुजरात में यह अब भी 33.5 फीसद है। कद के मामले में कुपोषण का राष्ट्रीय औसत 40 फीसद है, जबकि गुजरात में 42 फीसद है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक कुपोषण के आंकड़े कम हुए। वर्ष 2004 में जहां कुपोषितों के आंकड़े 42 फीसदी थी वह 2014 में घटकर 29 पर आ गए। इन वर्षों तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे लेकिन कुपोषण को कम नहीं कर सके। नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए कांग्रेस इतने पर नहीं रुकी। स्वच्छ भारत अभियान को लेकर मोदी खुद झाड़ू चलाए लेकिन सच्चाई यह है कि गुजरात के ग्रामीण इलाकों में आज भी 60 फीसद लोग खुले में शौच करते हैं, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 61.5 फीसद है।
रमेश ने कहा कि हमें गुजरात मॉडल से समस्या नहीं, मोदी मॉडल से समस्या है। उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह कल्याणकारी योजनाओं के बजट मे कटौती है, जैसे – स्वास्थ्य कल्याण बजट को 18,000 करोड़ रुपये से घटाकर 8,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसी तरह मिड-डे मील के लिए आवंटन 3,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,200 करोड़ रुपये कर दिया गया। पेयजल एवं स्वच्छता पर 15,000 करोड़ रुपये से घटाकर 6,000 करोड़ रुपये किया गया।
कांग्रेस ने मांग की है कि इस सर्वे को सरकार जारी करे और यूपीए सरकार के समय जितना बजट इन सब मदों में दिया जाता था, मोदी सरकार उसमें की गई कटौतियों को वापस ले।