जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रथयात्रा निकालने की अनुमति नही दी। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी की स्टेट यूनिट राजनीतिक बैठकें और रैलियां कर सकती है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर बीजेपी रथयात्रा के लिए नए सिरे से योजना बनाती है तो उसपर बाद में विचार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की रथ यात्रा से सौहार्द बिगड़ेगा। कोर्ट ने बीजेपी से रथयात्रा को लेकर एक नया शेड्यूल राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बीजेपी के नए यात्रा शेड्यूल पर संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखकर फैसला ले ताकि इनका मौलिक अधिकार प्रभावित न हो।
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह संविधान में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुये रथ यात्रा के लिए भाजपा के परिवर्तित कार्यक्रम पर विचार करे। पीठ ने कहा कि जहां तक संभावित कानून व्यवस्था की स्थिति के प्रति राज्य सरकार की आशंका का संबंध है तो उसे ‘निराधार’ नहीं कहा जा सकता और भाजपा को तर्कसंगत तरीके से इन आशंकाओं को दूर करने के लिये सभी संभव कदम उठाने होंगे।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले पश्चिम बंगाल में रथ यात्रा आयोजित करने के लिये भाजपा की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। भाजपा की राज्य इकाई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 21 दिसंबर, 2018 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने उसकी रथ यात्रा को अनुमति देने के एकल न्यायाधीश के आदेश को निरस्त कर दिया था।
इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि भाजपा ने अब अपना ‘‘गणतंत्र बचाओ यात्रा’’ कार्यक्रम 40 दिन से घटाकर 20 दिन कर दिया है और अब उसकी ‘‘यात्रायें’’ मुर्शीदाबाद में बहरामपुर, दक्षिण 24 परगना जिले में डायमंड हार्बर, मेदिनीपुर और कोलकाता उत्तर संसदीय क्षेत्र से शुरू होंगी। इस वकील ने बताया कि स्कूलों की आगामी परीक्षाओं और आम चुनावों को ध्यान में रखते हुये यह निर्णय लिया गया है।
इससे पहले, भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने राज्य में रैली निकालने की अनुमति के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इस आयोजन के माध्यम से राज्य के 42 संसदीय क्षेत्रों में सभायें आयोजित की जानी थीं। भाजपा का कहना था कि शांतिपूर्ण तरीके से यात्रायें आयोजित करना उसका मौलिक अधिकार है जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता।