जनजीवन ब्यूरो / बेंगलुरु । कर्नाटक में मंगलवार को दो निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद कांग्रेस के 6 नाराज विधायक बगावत पर उतर आए हैं। माना जा रहा है कि ये विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं, सीएम कुमारस्वामी का कहना है कि उनकी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है।
कांग्रेस नेता डी शिवकुमार: हमारे एक या दो विधायकों के अलावा सभी हमारे संपर्क में हैं। ये सभी कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेने आ रहे हैं। आपको सरकार की ताकत के बारे में पता चल जाएगा। एक भी विधायक इस्तीफा देने नहीं जा रहा है।
– कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरू में भाजपा दफ्तर के बाहर घोड़ों को लेकर प्रदर्शन किया। कांग्रेस का आरोप है कि कांग्रेस विधायकों को खरीदने (हार्स ट्रेडिंग) की कोशिश हो रही है।
-सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के 6 नाराज विधायक गुरुवार को इस्तीफा दे सकते हैं। इन सब के बीच कांग्रेस विधायक दल की बैठक 18 जनवरी को बेंगलुरु में बुलाई गई है। इससे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गुरुग्राम में भाजपा के विधायक जिस होटल में ठहरे हैं, वहां प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है।
-कर्नाटक में सत्तारूढ गठबंधन और भाजपा द्वारा एक-दूसरे पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाने से पैदा राजनीतिक उठापटक के बीच, राज्य के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बुधवार को कहा कि स्थिति ‘नियंत्रण’ में है और चिंता की कोई बात नहीं है। सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त के किसी ‘अभियान’ से इंकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है और वह निश्चिंत हैं।
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मेरे लिए (खरीद फरोख्त के) अभियान की कोई जरूरत नहीं है, दरअसल मेरे साथ पर्याप्त संख्याबल है… सबकुछ नियंत्रण में है… चिंता की बात नहीं है।’’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन द्वारा विधायकों को रिझाने के डर से भाजपा विधायक गुरूग्राम में डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने कहा कि वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा से पूछना चाहते हैं कि उनकी पार्टी के विधायकों को मकर संक्रांति मनाने के लिए ले जाया गया है या किसी अन्य कारण से।
खरीद-फरोख्त का आरोप
सोमवार को कर्नाटक में उस समय राजनीतिक वाकयुद्ध शुरू हो गया था जब दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था। दो विधायकों एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने मंगलवार को राज्यपाल वाजूभाई वाला को पत्र लिखकर उन्हें गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले से अवगत कराया था।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मीडिया में आई खबरों के विपरीत उनकी पार्टी के विधायकों को किसी रिसॉर्ट में नहीं ले जाया जा रहा है।उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी को रिसॉर्ट में लेकर नहीं जा रहे हैं, इसकी कोई जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं मीडिया से खुद को तथा राज्य की जनता को बेवकूफ नहीं बनाने का अनुरोध करता हूं।’’
कुमारस्वामी ने दोहराया कि कांग्रेस के जो पांच विधायक मुंबई में कथित रूप से भाजपा के कब्जे में हैं वे उनके संपर्क में हैं । उन्होंने कहा, ‘‘मैं बीते तीन दिन से कह रहा हूं कि वे मेरे संपर्क में हैं, मुझे सारे घटनाक्रम की जानकारी है।’’
इस बीच, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर और कांग्रेसी नेता सिद्धरमैया ने कांग्रेस महासचिव व कर्नाटक प्रभारी के सी वेणुगोपाल से मुलाकात की और उनके साथ मंथन किया। बैठक के बाद, सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया गया।
224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 104, कांग्रेस के 79, जद-एस के 37, बसपा, केपीजेपी के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक हैं। बसपा विधायक एन महेश ने अक्तूबर में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन कहा था कि सरकार को समर्थन जारी रहेगा।
फिलहाल बहुमत के लिए 113 विधायकों की जरूरत है जबकि कांग्रेस-जेडीएस के साथ 116 विधायक हैं। दो विधायकों के समर्थन वापस लेने पर बसपा विधायक सहित गठबंधन के साथ 117 विधायकों का समर्थन है।