जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद केडी सिंह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पोंजी स्कीम मामले बड़ी कार्रवाई की है। आरोप है कि सांसद की कंपनी ने पोंजी स्कीम के जरिए निवेशकों से 1900 करोड़ रुपये वसूले हैं। निदेशालय ने सांसद की 238 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया है। इन संपत्तियों में कुफरी, हिमाचल प्रदेश में एक रिसॉर्ट, चंडीगढ़ में एक शोरूम, हरियाणा में मौजूद संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।
ईडी ने टीएमसी सांसद केडी सिंह के एचडीएफसी और पीएनबी बैंक के खाते भी कुर्क किए हैं। निदेशालय की यह अलकेमिस्ट ग्रुप आफ कंपनीज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई है, जो सांसद की है और उस पर निवेशकों से कई सौ करोड़ रुपये वसूल कर धोखाधड़ी करने का आरोप है। कंपनी ने जिस मकसद से लोगों के पैसे लिए थे उसका उस चीज के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया। कंपनी ने इस पैसे को दूसरी कंपनियो में भेजा और जमीनें खरीदी। सांसद सिंह भारतीय हॉकी महासंघ और हॉकी एसोसिएशन ऑफ हरियाणा के अध्यक्ष भी हैं।
बाजार पर नजर रखने वाली संस्था सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने पिछले साल यह आरोप लगाया था कि अलकेमिस्ट समूह के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कथित तौर पर बेईमानी से 100 मिलियन डॉलर की राशि निकालकर देश छोड़ने की फिराक में हैं। सेबी की रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने धन शोधन का मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय पहले से ही अलकेमिस्ट समूह के कथित पोंजी ऑपरेशन की जांच कर रहा था। यह पहली बार नहीं है, जब देश में ऐसा पोंजी घोटाला हुआ है। इससे पहले भी देश-विदेश में करोड़ों का घोटाला हुआ है, जिससे लाखों की तादाद में लोग अपने पैसे इन पोंजी स्कीम में गवा देते हैं। सरकार अबतक 60 हजार से अधिक पोंजी स्कीमों को बंद करा चुकी है। इसके बावजूद पोंजी स्कीम लगातार चल रही हैं। वित्तीय खुफिया विभाग की मानें तो पोंजी स्कीमों से देश की सुरक्षा व्यवस्था को भी खतरा है। इनमें निवेश किए जा रहे पैसों से आतंकियों की मदद की जा रही है।
गौरतलब है कि पोंजी स्कीन, पिरामिड स्कीम, मल्टी लेवल मार्केटिंग या फिर नेटवर्क मार्केटिंग सिसटम यह ऐसा धंधा या कहे बिजनेस है, जिसके माध्यम से लोगों को लूटा जाता है। पोंजी स्कीम की तरह से सुनियोजित कॉरपोरेट ठगी का मॉडल है। इसमें निवेशकों को लालच देकर उनसे धोखाधड़ी की जाती है।