जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए दो आदेशों का उल्लंघन किए जाने को गंभीरता से लिया। SC ने कोर्ट से बिना मंजूरी लिए 17 जनवरी को शर्मा का तबादला CRPF में किए जाने पर राव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया। आपको बता दें कि बेंच में जस्टिस दीपक मिश्र और संजीव खन्ना भी शामिल थे।
प्रक्रिया में शामिल अफसरों के नाम बताने का आदेश
बेंच ने सीबीआई निदेशक को एके शर्मा का तबादला जांच एजेंसी के बाहर करने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के नाम बताने का भी निर्देश दिया। इस दौरान SC ने अपने पहले के आदेशों का स्पष्ट संदर्भ दिया, जिनमें सीबीआई से बिहार शेल्टर होम मामलों की जांच करने वाली टीम से एके शर्मा को नहीं हटाने को कहा गया था। इसके बावजूद तबादला होने पर कोर्ट से गहरी नाराजगी जताई।
राव के अलावा बेंच ने सीबीआई के दूसरे अधिकारियों को भी 12 फरवरी को पेश होने के लिए कहा, जो ट्रांसफर की प्रक्रिया में शामिल थे। SC ने अपने आदेश के उल्लंघन के लिए सीबीआई अभियोजन निदेशक प्रभारी एस. भासू राम को भी मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि पिछले साल अक्तूबर में सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच उपजे विवाद के बाद तत्कालीन संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड केस की सुनवाई बिहार से नई दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। सुनवाई पटना से दिल्ली के साकेत पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर की गई है। कोर्ट ने जज को आदेश दिया है कि दो हफ्ते के भीटर ट्रायल शुरू करें और 6 महीने के भीतर इसे खत्म करें।
बिहार सरकार को कहा- बस बहुत हो गया
आदेश में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर यौन उत्पीड़न मामले से जुड़े दस्तावेजों को दो सप्ताह के भीतर बिहार सीबीआई अदालत से साकेत निचली अदालत में स्थानांतरित किया जाए को कहा गया है।
इस दौरान कोर्ट ने आश्रय गृहों की देखभाल को लेकर बिहार सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में बिहार सरकार से कहा, बस बहुत हो गया, बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया जा सकता।
सीबीआई को फटकार
कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य सभी सूचनाएं मुहैया कराने में असफल रहा तो वह बिहार के मुख्य सचिव को समन कर सकता है। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अधिकारी का तबादला करने को लेकर सीबीआई को भी फटकार लगाई है।
ये है पूरा मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ रेप का खुलासा होने के बाद ही राजनीतिक बहस तेज हो गई थी। इस कांड का खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज(टिस्स) की रिपोर्ट में हुआ।
जब सरकार पर विपक्षी पार्टियों और लोगों का दबाव बढ़ा तो इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। पिछले दिनों मुजफ्फरपुर के बालिका गृह से 15 साल की बच्ची का भी कंकाल मिला है। जिससे मामले में नया मोड़ आ गया है।