जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद में पेश होगा या अभी और इंतजार करना होगा। विपक्ष राफेल डील पर कैग की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने का इंतजार कर रहा है। कांग्रेस ने रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारी को लेकर अपनी आपत्ति जताई है जिसके कारण संदेह और बढ़ गया है।
बताया गया है कि कैग ने राफेल पर 12 चैप्टर लंबी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। कुछ हफ्ते पहले ही रक्षा मंत्रालय ने राफेल पर विस्तृत जवाब और संबंधित रिपोर्ट कैग को सौंपी थी, जिसमें खरीद प्रक्रिया की अहम जानकारी के साथ 36 राफेल की कीमतें भी बताई गईं थीं। प्रोटोकॉल के तहत कैग ने इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेजा है।
इस समय राजनीतिक विवाद का केंद्र बने राफेल जेट विमान सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट को सरकार मंगलवार को संसद में रखेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। इस सौदे को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फ्रांसीसी कंपनी से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के इस सौदे में कथित घोटाले और गड़बड़ी को लेकर सत्तासीन भाजपा और विशेषतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर बने हुए हैं। सत्तारुढ दल ने इन आरोपों को खारिज किया है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार इस सौदे पर कैग की रपट मंगलवार को संसद के पटल पर रखेगी। मौजूदा 16वीं लोकसभा का वर्तमान सत्र बुधवार को समाप्त हो रहा है और यह संभवत: इसका आखिरी सत्र है। अप्रैल-मई में आम चुनाव के बाद 17वीं लोक सभा का गठन होगा।
कैग की रपट को लेकर पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कुछ सवाल उठाए। उन्होंने इस मामले में हितों के टकराव की बात उठायी है।सिब्बल ने कहा है कि मौजूदा कैग राजीव महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे और इस सौदे से जुड़े थे ऐसे में उन्हें इसकी ऑडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए।
राफेल पर नियम बदले? टीम हेड का जवाब
मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को किए गए दावे के बीच भारतीय पक्ष की तरफ से राफेल वार्ता का नेतृत्व करने वाले एयर मार्शल SBP सिन्हा ने जवाब दिया है। समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक पॉइंट को साबित करने के लिए कुछ नोट्स सिलेक्टिव तरीके से उठाए जा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि इनमें सच्चाई नहीं है। भारतीय टीम ने जो अपनी अंतिम रिपोर्ट दी है उस पर सभी 7 सदस्यों ने बिना किसी असहमति के हस्ताक्षर किए हैं।
सरकार से सरकार के बीच कॉन्ट्रैक्ट में ऐंटी-करप्शन क्लॉज पर एयर मार्शल सिन्हा ने कहा कि अब तक हमारा अमेरिका और रूस के साथ ‘सरकार से सरकार के बीच’ कॉन्ट्रैक्ट था। यह तीसरा ‘सरकार से सरकार’ कॉन्ट्रैक्ट है, जो फ्रांस के साथ हुआ। ऐसा क्लॉज इनमें से किसी के साथ नहीं था।
मीडिया रिपोर्ट में नया दावा
आपको बता दें कि सोमवार को एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार ने समझौते पर दस्तखत से कुछ दिन पहले ही मानक रक्षा खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ पेनल्टी से जुड़े अहम प्रावधानों को हटाया था। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने सितंबर 2016 में इन्टर-गवर्नमेंटल अग्रीमेंट, सप्लाइ प्रोटोकॉल्स, ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट्स और ऑफसेट शेड्यूल में 9 बदलावों को मंजूरी दी।
…तो क्या UPA सरकार में ही बदला था नियम?
वहीं, एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि यूपीए सरकार ने ही नियम बनाया था कि मित्र देशों के साथ इंटर-गवर्नमेंटल अग्रीमेंट के दौरान स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रसीजर में मामले में कुछ शर्तों से छूट ली जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का ही पालन किया है।