जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ वर्षों तक चोली दामन का साथ निभाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अब यह कह रहे हैं कि लालू के साथ कभी भी उनका दिल नहीं मिला। पासवान ने कहा, ” लालू से हमारा कभी दिल से दिल का रिश्ता नहीं रहा । उनका भी हमसे नहीं रहा । मैं कभी लालू के साथ गठबंधन नहीं करना चाहता था । केवल 2०1० के विधानसभा चुनावों को छोड़कर मैंने कभी बिहार में लालू के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2००9 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल के कारण संप्रग में था।’’
लालू प्रसाद यादव पासवान को सत्ता का मौसम वैज्ञानिक कहकर संबोधित करते हैं। वर्ष 2००2 के गुजरात दंगों के बाद लोजपा प्रमुख ने सबसे पहले राजग से नाता तोड़ा था और उनकी लोक जनशक्ति पार्टी वर्ष 2००9 से राजद के साथ गठबंधन में रही थी। प्रसाद और पासवान संप्रग एक सरकार में मंत्री थे ।
संप्रग एक के शुरूआत के कुछ सालों में दोनों के कड़वे संबंध थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे रेल मंत्रालय पर दावदारी को लेकर पैदा हुए थे। दोनों 2००9 के लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के साथ आए थे जब उन्होंने सभी तीनों दलों के लिए निराशाजनक चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस से पल्ला झाड़ लिया था। वर्ष 2०14 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद के साथ सीट बंटवारे पर फैसले में देरी से नाखुश पासवान ने लालू की राजद से संबंध तोड़ लिए थे और भाजपा का दामन थाम लिया था जिसने उनकी पार्टी की किस्मत ही खोल दी।
हालिया कुछ महीनों से पासवान लालू की कड़ी आलोचना करते रहे हैं और उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए राजद प्रमुख लालू के एक पनौती साबित होने तक की भविष्यवाणी कर डाली है। पासवान ने कहा, ” लालू एक ऐसे इंसान हैं जो एक हाथ तो गठबंधन सहयोगी की गर्दन पर रखते हैं और दूसरा उसके पैरों पर।’’
लोजपा हालांकि पासवान के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का संकेत दे चुकी है लेकिन वह स्वयं इससे इनकार करते हैं। लोजपा अध्यक्ष महसूस करते हैं कि बिहार में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने से गठबंधन को मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि यदि राजग सत्ता में आती है तो बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री पद पर भाजपा की दावेदारी होगी।
पासवान ने कहा, ” 199० में वी पी सिंह चाहते थे कि मैं मुख्यमंत्री बनूं । मैंने मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया। बाद में जब मैं राजग में शामिल हुआ तो वाजपेयी चाहते थे कि मैं बिहार का मुख्यमंत्री बनूं । इसी प्रकार , फरवरी 2००5 के चुनाव के बाद मैं मुख्यमंत्री बन सकता था। मैं तीन बार इससे इनकार कर चुका हूं।’’
उन्होंने कहा, ”इस बार राजग के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद पर भाजपा का दावा बनता है। वे सबसे बडी पार्टी हैं। हम राजग के तहत नरेन्द्ग मोदी की अगुवाई में लड़ रहे हैं। वो जिसे भी मुख्यमंत्री के रूप में चुनते हैं, वह हमें स्वीकार्य है ।’’ यह पूछे जाने पर कि जब राजग को चुनाव जीतने का भरोसा है तो वे बिहार में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घाÞषणा क्यों नहीं कर रहे हैं , पासवान ने कहा, ” राजग को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घाÞषणा क्यों करनी चाहिए? केवल इसलिए कि लालू और नीतीश ने ऐसा किया है। उनके पास कोई और नहीं है । इसलिए उन्होंने किया। हमारे पास कई अच्छे नेता हैं।’’
पासवान ने कहा, ”हम बिहार में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे । हमने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किए बगैर और सामूहिक नेतृत्व में लड़कर महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव जीते हैं। बिहार में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित न करने से भाजपा को मदद मिल रही है।’’
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले पासवान और नीतीश कुमार के साथ आने की अटकलें थी और भाजपा एवं लोजपा के गठबंधन से पहले दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ भी की थी, हालांकि पासवान ने कहा कि जदयू नेता के साथ उनके ”अच्छे संबंध नहीं हैं।’’
विकास के दावे करने पर बिहार के मुख्यमंत्री की खिंचाई करते हुए पासवान ने कहा कि उनके ये दावे ”फर्जी’’ हैं। नीतीश के चुनावी नारे ”बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो’’ पर चुटकी लेते हुए हुए पासवान ने कहा, ”किस समृद्धि की बात कर रहे हैं वह ? पिछले 1० साल में बिहार में एक भी उद्योग नहीं आया लेकिन हर जगह शराब की दुकानें खुल गईं ।
क्या वह शराब के मामले में समृद्धि की बातें कर रहे हैं ?’’ केंद्गीय मंत्री ने कहा, ”1० साल तक राज्य की सत्ता में रहने के बाद वह कहते हैं कि फिर से सत्ता में आने पर वह शराब पर पाबंदी लगा देंगे । उन्होंने बच्चों के हाथों में किताब की जगह शराब की बोतल थमा दी है ।’’
नीतीश की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्ग मोदी पर अक्सर किए जाने वाले हमलों पर बिहार के मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए पासवान ने कहा कि वह ”सूरज पर कीचड़ उछालने की कोशिश कर रहे हैं ।’’
उन्होंने कहा, ”नीतीश कुमार मोदी का विरोध कर रहे थे । उन्होंने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने पर इसका परिणाम देख लिया । जदयू दोहरे अंकों में भी नहीं पहुंच पाएगी ।’’