जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का पहला सप्ताह बिना काम्कज की समाप्त हो गया। आगे चलेगा या नहीं यह सिर्फ कांग्रेस को पता है। राज्यसभा में अपने संख्या बल से वह लोकसभा में दो तिहाई बहुमत वाले गठबंधन को रोक रही है। राज्यसभा में कौन सा विधेयक पास होगा यही नहीं, कौन सा विधेयक चर्चा के लिए भी रखा जा सकता है यह कांग्रेस ही तय कर रही है। बिना इस बात की परवाह किए कि इसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगे।
दरअसल सड़क और चुनाव के मैदान में लड़ी जाने वाली राजनीतिक लड़ाई संसद में लड़ी जा रही है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव की हार का बदला भाजपा की अगुआई वाली सरकार के काम अड़ंगा डाल कर लेना चाहती है। मतदाता ने कांग्रेस को मान्यता प्राप्त विपक्ष नहीं बनाया तो भाजपा उसे सबसे बड़े विपक्षी दल की अहमियत देने को भी तैयार नहीं है। इसलिए बदला कांग्रेस का ध्येय वाक्य बन गया है। समस्या मुद्दों की नहीं अहम की है। अहम की कोई लड़ाई समझदारी या तार्किक ढ़ंग से नहीं होती। बल्कि उसकी तो पहली शर्त ही यह है कि आप समझदारी को ताक पर रख दें। ललित गेट और व्यापम का मामला न होता तो भी कांग्रेस यही करती तो आज कर रही है। नरेन्द्र मोदी की सरकार के हर काम का विरोध ही कांग्रेस का एजेंडा बन गया है। दूसरी ओर भाजपा है कि वह कांग्रेस के वजूद को ही स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
कांग्रेस तो पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह संसद का सत्र नहीं चलने देगा। उसका कहना है कि सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान का जब तक इस्तीफा नहीं होता वह संसद का सत्र नहीं चलने देगी। भाजपा का जवाब है कि इन तीनों का इस्तीफा किसी भी हाल में नहीं होगा। इनमें से किसी ने कोई गैर कानूनी काम नहीं किया है। कोई पक्ष झुकने को तैयार नहीं है। अब सारा दारोमदार बाकी दलों पर है। कांग्रेस को पता है कि उसके समर्थन के बिना राज्यसभा में कोई संविधान संशोधन विधेयक पास नहीं हो सकता। इसलिए भाजपा को अगर जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पास कराना है तो उसे कांग्रेस की मदद लेनी पड़ेगी।
यह अलग बात है कि सुषमा स्वराज के मुद्दे पर कांग्रेस को सपा, एनसीपी व अन्य कई दलों का दिल से समर्थन नहीं मिल रहा है। सपा तो इस्तीफा मांगना दूर सुषमा स्वराज के खिलाफ संसद में एक शब्द नहीं बोली है। व्यापम मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई जांच शुरु होने और अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से बाकी दलों के इस मुद्दे पर विरोध में नरमी आई है। वसुंधरा राजे सिंधिया के मामले में लोगों को पूरे तथ्य की जानकारी नहीं है। खासतौर से उनके बेटे के बारे में । इसलिए अभी कोई स्पष्ट रूप से कुछ बोल नहीं रहा है।
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