प्रवीण कुमार
मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर की जिंदगी 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में एक मध्यमवर्गीय परिवार से शुरू हुई थी। सामान्य परिवेश से निकलर उन्होंने आईआईटी मुंबई से शिक्षित होने से लेकर गोवा के मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री और फिर गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर 17 मार्च 2019 को आखिरी सांस ली। लोग कहते हैं कि हरदिल अजीज पर्रिकर की जिंदगी एक आम आदमी के पोस्टर ब्वॉय बनने की जबरदस्त मिसाल है।
1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजिनियरिंग में ग्रैजुएट मनोहर पर्रिकर देश के किसी राज्य के आईआईटियन मुख्यमंत्री बनने वाले पहले शख्स थे। पर्रिकर पहली बार 1994 में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे। इसके पहले गोवा की सियासत में किसी भी नेता ने यह उपलब्धि हासिल नहीं की थी। गोवा के इस दिग्गज राजनेता को राष्ट्रीय राजनीति में उनकी सादगी और जीवटता के लिए हमेशा याद किया जाएगा है।
पूर्णकालिक राजनीति में उतरने से पहले पर्रिकर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ाव था। वह आरएसएस की नॉर्थ गोवा यूनिट में सक्रिय थे। वर्ष 2000 में वह पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। उनकी छवि आम आदमी के सीएम के रूप में थी। अक्सर स्कूटी से सीएम दफ्तर जाते उनकी तस्वीरें मीडिया में काफी चर्चित होती रहीं। हालांकि, उनकी पहली सरकार फरवरी 2002 तक ही चल सकी। मनोहर पर्रिकर की पत्नी की भी 2001 में कैंसर से लड़ते हुए मौत हो गई थी। उस वक्त पर्रिकर गोवा के सीएम भी थे। हालांकि, इस निजी त्रासदी से ऊबरकर न सिर्फ उन्होंने बतौर सीएम अपना दायित्व निभाया, बल्कि दोनों युवा बेटों की परवरिश भी शानदार तरीके से अकेले ही की।
जून 2002 में गोवा विधानसभा भंग होने के बाद वहां फिर चुनाव हुए और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। दूसरी छोटी पार्टियों और एक निर्दलीय के सहयोग से पर्रिकर दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। गोवा की राजनीति में भाजपा की जड़ें जमाने में पर्रिकर का योगदान काफी अहम रहा। 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में उन्होंने ‘जनसंपर्क यात्रा’ नाम से जनता के बीच बड़ा अभियान चलाया। इसका नतीजा भी दिखा और पर्रिकर राज्य की 40 सीटों में से 21 पर भाजपा का कमल खिलाने में कामयाब रहे।
गोवा की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में पर्रिकर रक्षा मंत्री के तौर पर शामिल हुए। रक्षा मंत्री रहने के दौरान देश के दूर-दराज के इलाकों में भी लोग उनकी सादगी के कारण उन्हें बेहद पसंद करते थे। आधी बांह के ट्रेडमार्क शर्ट-पैंट, चश्मे और सिंपल घड़ी में नजर आने वाले पर्रिकर की सादगी, लेकिन तकनीक और विज्ञान के लिए दिलचस्पी ने उन्हें देशभर के युवाओं का फैन बना दिया।
मनोहर पर्रिकर को देश में राजनीति के भविष्य के संकेतों को समझने वाले राजनेता के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। 2013 में पर्रिकर भाजपा के उन अग्रणी नेताओं में से थे जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम उस वक्त भाजपा के पीएम उम्मीदवार के तौर पर आगे किया था। गोवा में भाजपा की सत्ता में वापसी कराने और गठबंधन के साथ सरकार चलाने के लिए भी भाजपा आलाकमान ने पर्रिकर पर ही भरोसा किया था। 2017 में गोवा चुनाव के बाद भाजपा के पास बहुमत नहीं था, लेकिन पर्रिकर दिल्ली से गोवा पहुंचे और आखिरकार सरकार बनाने में कामयाब रहे।