जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। राष्ट्रीय आदर्श और संघर्षशील पत्रकारों के प्रणेता सम्पादक, लेखक, प्रख्यात पत्राकार पं. अवध कुमार झा ( 95) का शुक्रवार को निधन हो गया । वे विगत 7 वर्षों से किडनी डायलसिस पर चल रहे थे। झा ने युवावस्था में सिर्फ 35 रुपये मासिक पर सेवाभावना के कारण पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा था। वर्ष 1946 से 1949 तक समाचार एजेंसी यूपीआई 1949 से 1954 तक हिन्दुस्तान समाचार, समाचार भारती, वार्ता, पीटीआई 1954 से 2002 तक ऐतिहासिक अखबार दैनिक आर्यावर्त में मुख्य विशेष संवाददाता एवं सम्पादक के पद पर समर्पित रहे। पुनः 2003 से 2019 इलाजरत तक न्यूज एवं फीचर्स इंडिया से जुड़े रहे। पत्रकारिता के संघर्ष यात्रा में पूर्व प्रधनमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, कुलदीप नैयर, बालेश्वर अग्रवाल, डॉ. नन्द किशोर त्रिखा, दीनानाथ झा सहित कई दिग्गज सम्पादको के साथ मजबूत कडी रहे।
सर्वविदित है कि आजादी की लड़ाई, जे.पी आन्दोलन से लेकर गरीब-पिछडे बिहार के सर्वांगीण विकास की लड़ाई में निरन्तर संघर्षशील सैनानी पत्राकार श्री अवध् बाबू ने ऐतिहासिक और साहसिक भूमिका निभाई है।
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबू के कार्यकाल से वर्तमान काल के मुख्यमंत्री तक अपने अंतिम सांस तक ‘भ्रष्टाचार-पिछडा मुक्त बिहार’ और श्रेष्ठ भारत के नव निर्वाण में प्रबु( शोध लेखनी से निरन्तर मार्ग दर्शन कर पत्रकारिता का सामाजिक एवं राष्ट्र बखूबी निभाते रहे हैं।
अपने पत्राकारिता जीवन काल में उन्होंने ‘सर्वजन हिताय’ की प्रेरणा से हजारों पिछड़ों, गरीब, रिफ्रयूजियों को जहां पुर्नवास एवं रोजगार प्रदान किया वहीं सैंकडों गरीब कन्याओं का कन्यादान एवं उनके परिवार को राजगार प्रदान कर सामाजिक मसीहा की पहचान बने। ‘पत्रकारिता जगत के दधीची’ अवध् बाबू नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की हैसियत से सैकड़ों पीडित पत्रकारों को उनके मौलिक अध्किारों एवं न्याय दिलाने में सर्वोच्च नियोछावर करते रहे।
ऐतिहासिक व प्राचीनतम दैनिक आर्यावर्त- इंडियन नेशन के पुर्णोत्थान उनके सैकड़ों पीड़ित श्रमिकों को सम्मान दिलाने हेतु दधीची की भांति जीवन भर संघर्षरत रहे हैं।
प्रखर पत्राकारिता, खोजी, शोध् पत्राकारिता के विशेषज्ञ गुरू माने जाने वालो ‘विद्वान सम्पादक अवध् बाबू’ ने पत्राकारिता और ‘पत्राकारों का राष्ट्रध्र्म’, बाढ़ से निदान, ‘पिछडे और गरीब बिहार’ का सर्वांगीण विकास, ‘नक्सलीज्म और आतंक मुक्त भारत’, ‘स्वास्थ्य, शिक्षा और सिंचाई’ और ‘कृषि विकास’ पर उन्होंने सैकड़ों शौध् एवं खोजी रिपोर्ट सहित कई पुस्तकें राष्ट्र को समर्पित की हैं।
अवध बाबू अपने पीछे 4 सुपुत्र सर्वश्री चन्द्रशेखर झा, राजीव शेखर झा, संजीव शेखर झा और मनी शेखर झा सहित छह पोती एवं पोते का भरा परिवार छोड गये हैं।