जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला ने कहा है कि सीजेआई को क्लीन चिट देने वाली रिपोर्ट पाना उसका अधिकार है। महिला ने सुप्रीम कोर्ट की आतंरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट की प्रति मांगी है, जिसमें सीजेआई गोगोई को निर्दोष करार दिया गया है।
वहीं, इस मामले में अब पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने भी महिला के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने सीजेआई गोगोई को क्लीन चिट देने वाली रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की बात कही है। पूर्व सूचना आयुक्त ने उच्चतम न्यायालय की आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिमायत की है, जिसमें शीर्ष न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के निष्कर्ष हैं।
उन्होंने कहा कि जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं करने का कोई कारण या कानूनी आधार नहीं लगता है। इस मामले की तीन न्यायाधीशों वाली आंतरिक जांच समिति ने जांच की थी। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को पता चलना चाहिए कि आंतरिक जांच समिति ने किस आधार पर सीजेआई के खिलाफ महिला के आरोप को बेदम करार दिया और सीजेआई को क्लीन चिट दी।
आचार्युलू ने कहा कि सीजेआई और अन्य विशिष्ट जनों के मुताबिक इन आरोपों के पीछे बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि जनहित में लोगों को जानने का अधिकार है। अगर यह लगता है कि खासकर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के विवरण सार्वजनिक नहीं किए जा सकते तो संपादित कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।
चीफ जस्टिस पर रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिलाकर्मी ने आंतरिक जांच समिति के निर्णय पर नाराजगी जताई थी। आंतरिक जांच समिति का निर्णय आने के बाद महिला ने कहा था कि आंतरिक जांच समिति का इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि आरोपों में कोई दम नहीं है, इससे वह आहत है और यह निर्णय दिल को चोट पहुंचाने वाला है।
महिला ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा था कि उसके साथ अन्याय हुआ है। तमाम तथ्यों व प्रमाणों को प्रस्तुत करने के बावजूद जांच समिति ने आरोपों को निराधार करार दे दिया। महिला ने कहा था कि उसके साथ घोर अन्याय हुआ है।
महिला ने कहा कि उसे शुरुआत से ही इस बात की आशंका थी कि जिस तरह से कार्यवाही चल रही है उसे न्याय मिलने की आशंका कम है। आंतरिक जांच समिति के निर्णय के बाद अब यह साफ हो गया है कि मेरा अंदेशा सही था। शीर्ष अदालत से न्याय मिलने की मेरी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
उसने यह भी कहा कि पैनल ने यह भी कहा है कि उसे रिपोर्ट की प्रति नहीं दी जाएगी। ऐसे में उसे कैसे पता चलेगा कि किन वजहों से उसकी शिकायतों को खारिज कर दिया गया। महिला का यह भी कहना कि उसे कोई संरक्षण नहीं दिया गया। उसका परिवार खतरे में है। महिला ने कहा कि वह अपने वकील से मिलकर आगे की रणनीति तय करेगी।