जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर कांग्रेस के अंदर भी अब एकमत नहीं है। राहुल गांधी के खेमे से खबर है कि सोमवार से सदन की कार्यवाही चलेगी। राहुल भूमि अधिग्रहण और किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराना चाहते हैं। उन्हें भरोसा है कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट दिखेगा। लेकिन सोनिया गांधी खेमे से खबर है कि पार्टी इस्तीफा नहीं तो चर्चा नहीं के अपने रुख से पीछे नहीं हटेगी।
मोदी सरकार यह मानकर चल रही है कि संसद के मानसून सत्र में कुछ नहीं होने वाला है । मोदी सरकार चाहती है कि कम से कम वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक पास हो जाए । लेकिन कांग्रेस इस विधेयक पर बदला चुकता करना चाहती है। संप्रग सरकार के दौरान भाजपा इसका कड़ा विरोध की थी। वित्त मंत्री अरुण जेतली को जिम्मा सौंपा गया है कि वे कांग्रेस को समझाने-मनाने की एक और कोशिश करें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रुख को देखते हुए किसी हल की गुंजाइश कम ही नजर आती है। अप्रत्यक्ष करों में सुधार का सबसे बड़ा और अहम कानून अगले वित्त वर्ष से लागू नहीं हो पाएगा यह लगभग तय लग रहा है।
एक कांग्रेसी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राहुल गांधी के सहयोगी चाहते हैं कि सरकार को विधायी काम से तो रोका जाय पर ऐसे मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार होने में कोई हर्ज नहीं है जिस पर पूरे विपक्ष को सरकार के खिलाफ खड़ा किया जा सके । लेकिन सोनिया गांधी से जुडे़ कांग्रेसी संसद को किसी भी कीमत पर न चलने देना चाहते हैं। बकौल कपिल सिब्बल भाजपा अपना पुराना इतिहास भूल गई है जब यूपीए सरकार के दौरान संसद को ठप रखती थी। उनका कहना है कि भाजपा यूपीए सरकार के मंत्रियों के इस्तीफे के बाद ही संसद में कामकाज शुरु होने देती थी इसलिए मोदी सरकार के दागी मंत्रियों को हटाए तभी ही बात बनेगी।