जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार बहुमत का घमंड दिखा रही है। मोदी पैकेजिंग के मास्टर हैं। काबिल सेल्समैन हैं। हेडलाइन बटोरते हैं। चालाक न्यूज मैनेजर हैं। साथियों के करप्शन मामले में मन की बात क्यों नहीं कर रहे हैं? जो मन की बात करने का दावा करते हैं, उन्होंने अब मौन व्रत ले लिया है।” उन्होंने कहा कि मोदी सिर्फ पैकेजिंग के मास्टर हैं, उन्हें मार्केटिंग से फुर्सत नहीं है। इस बीच, संसद में सोमवार को भी टकराव की स्थिति रही। हंगामा होता रहा।
सोनिया ने कहा- ‘‘बीजेपी ने ही ‘इस्तीफा अभी और बहस बाद में’ का तरीका शुरू किया था। यूपीए सरकार के वक्त कम से कम 5 बार ऐसा किया गया था। हम भी उसी पर चल रहे हैं। पीएम का काम पर ध्यान नहीं है। हम बीजेपी के पुराने रवैये की बराबरी नहीं कर रहे हैं। सरकार की बेशर्मी के कारण हम विरोध कर रहे हैं। संसद चले लेकिन उससे पहले सुषमा, वसुंधरा के इस्तीफे लेने होंगे। दूसरी ओर, एक टीवी चैनल से बातचीत में कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने कहा कि जब तक दागी मंत्री इस्तीफा नहीं देते, तब तक कांग्रेस संसद नहीं चलने देगी।
एनडीए सरकार संसद में टकराव खत्म करने के लिए पीएम को आगे का लाने की सोच रही है। सरकार चाहती है कि पीएम व्यापमं और ललितगेट मामले पर संसद में दखल दें ताकि हाऊस के अंदर काम भी हो सके। नायडू के मुताबिक, ”अगर बहस की इजाजत मिलती है और ऐसा करने की जरूरत पड़ी तो पीएम इस मामले में बयान दे सकते हैं।उन्होंने ऐसा पहले भी किया है और अब भी कर सकते हैं।”
उधर संसद में लगातार 14वें दिन हंगामा जारी है। इस गतिरोध को दूर करने के लिए सर्वदलीय बैठक हुई। भारी हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों तो दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा में प्रश्न काल तो चल सका लेकिन इस दौरान लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने हंगामा कर रहे सांसदों से अपील की है कि वो प्लैकार्ड को किनारे रख दें। लेकिन सांसद उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे. आख़िरकार प्रश्न काल की समाप्ति के बाद स्पीकर ने दोपहर दो बजे तक के लिए लोकसभा स्थगित कर दी।
लेकिन इस दौरान कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि इस सदन को तब तक चलने नहीं दिया जा सकता जब तक प्रधानमंत्री इस मामले (ललित मोदी को कथित मदद) पर बयान नहीं देते।
उन्होंने कहा, “जिन तथ्यों के आधार पर बहस का नोटिस दिया गया है, वह निराधार हैं. मैंने कभी ललित मोदी के लिए ब्रिटिश सरकार से अनुरोध नहीं किया।”