सुधांशु / पटना : लोकसभा के चुनावी समर की अंतिम चरण में आठ सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। इस चरण के दौरान नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद लोकसभा में मतदान होने वाले हैं। इसमें चार सीटें सासाराम, पाटलिपुत्र, बक्सर और जहानाबाद में कांटे की टक्कर है। इसमें तीन सीटें सासाराम, पाटलिपुत्र और बक्सर भाजपा के पास हैं।
जबकि, जहानाबाद जदयू के पास है। इन चारों सीटों पर भाजपा और जदयू मिलकर जोरदार अभियान करने में लगे हुए हैं। इन चार सीटों में दो सीटों पाटलिपुत्र में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और बक्सर पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इन चार सीटों पर अपना कब्ज जमाने और वोटरों को अपनी तरफ रिझाने के लिए पूरजोर कोशिश में एनडीए खासकर भाजपा जुट गयी है।
इन सीटों के वोटरों को लामबंद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी इन चार सीटों पर तीन चुनावी सभाएं हुई हैं। 14 मई को बक्सर और सासाराम में सभा हो चुकी है, तो 15 मई को पालीगंज में सभा हुई। पालीगंज विधानसभा पाटलिपुत्र लोकसभा में है, लेकिन यह जहानाबाद से भी जुड़ा हुआ है। इससे दोनों लोकसभा सीटें कवर हो जायेंगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी इन चारों लोकसभा में लगातार सभाएं हो रही हैं।
इन चार सीटों में भाजपा उम्मीदवारों के मुकाबले में विपक्ष से भी कद्दावर नेता मैदान में ताल ठोक रहे हैं, जिसके कारण यहां कांटे की टक्कर हो गयी है। पाटलिपुत्र में रामकृपाल को राजद से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती टक्कर दे रही हैं। इसी तरह बक्सर में अश्विनी कुमार चौबे के मुकाबले राजद के जगदानंद सिंह, सासाराम में छेदी पासवान के सामने कांग्रेस की कद्दावर नेता मीरा कुमार चुनौती दे रही हैं। जहानाबाद में जदयू के उम्मीदवार चंदेश्वर चंद्रवंशी नये हैं, उनका मुकाबला राजद के सुरेंद्र यादव है। परंतु यहां मौजूदा सांसद अरुण कुमार के खड़ा होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। इससे जदयू को इस सीट को जीतने के लिए ग्राउंड स्तर पर जोर लगाना पड़ रहा है।
पूरे देश में देखा जाए तो सबसे ज्यादा (80) लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा सबसे मजबूत है। यहां साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां 71 सीटें और उसके सहयोगी अपना दल ने दो सीटें जीती थीं। भाजपा इस बार भी यहां 2014 की जीत दोहराने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 73 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर थी लेकिन इस बार मोदी के साथ योगी भी हैं जिससे पार्टी सूबे में और मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश और अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की तरफ खास ध्यान दे रहे हैं। वाराणसी के नाम पिछले दिनों दिए गए संदेश में उन्होंने खासकर युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। भाजपा को उम्मीद है कि युवा मतदाता 2014 की जीत को दोहराने में उसकी मदद करेंगे।
उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा की नजर 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल पर है, जहां वह ज्यादा से ज्यादा कमल खिलाना चाहती है। छह चरणों में बंगाल में हिंसा के बावजूद बंपर वोटिंग हुई है और भाजपा को उम्मीद है कि इस बार बड़ी आबादी उसके पक्ष में है। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ गठबंधन कर भाजपा थोड़ी निश्चिंत है।
राजनीतिज्ञ भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य साध लेने वाला दल पूरे देश को साध लेगा। इन चारों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भाजपा के लिए जादुई आंकड़ा छूना काफी आसान हो जाएगा।