अमलेंदु भूषण खां
लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को अंतिम चरण का मतदान होना है और 23 मई के नतीजे आएंगे। अब तक छह चरणों में हुए मतदान के बाद तमाम राजनीतिक दलों को जीतने वाली सीटों की संख्या का अनुमान लगाया जा चुका है। ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दल रणनीतिक समीकरण साधने की कवायद में जुट गए हैं।
आने वाले चुनाव परिणाम में यह तो तय है कि बीजेपी और कांग्रेस ही सबसे बड़े दल के रुप में उभरेंगे। बीजेपी तो नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की घोषणा पहले ही कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस ने पीएम पद के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस पीएम की कुर्सी पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को देखना चाहती है। जबकि उप-प्रधान मंत्री की कुर्सी अपने किसी सहयोगी दल को देने की रणनीति पर काम कर रही है। इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी भी सक्रिय हो गई हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने एक बयान में स्पष्ट भी किया है कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है, अगर 5 साल सरकार चलाना है तो जाहिर है कि सबसे बड़ी पार्टी को ही मौका मिलना चाहिए।
एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू शनिवार सुबह राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे। उनका लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिलने का कार्यक्रम है। इस बीच जेडीएस के मुखिया एचडी देवेगौड़ा ने कांग्रेस के साथ मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि वे कांग्रेस को समर्थन के लिए तैयार हैं। ऐसे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
माया-अखिलेश 23 के बाद खोलेंगे पत्ते!
कांग्रेस चाहती है कि सभी गैर-एनडीए नेता नतीजों से पहले एक बार बैठक करें जबकि माया और अखिलेश ने नतीजों पहले किसी भी तरह के जोड़-तोड़ से अभी तक परहेज कर रखा है। सूत्रों की मानें तो नायडू दोनों नेताओं को दिल्ली में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश करने वाले हैं।
यह सच है कि राहुल कई बार कह चुके हैं कि अभी उनका मकसद पीएम पद नहीं है, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि इस पर फैसला लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद होगा। पार्टी को लगता है कि अगर उसका प्रदर्शन क्षेत्रीय दलों से बेहतर रहा तो राहुल ही पीएम पद के दावेदार होंगे। हाल ही में बिहार की एक रैली में तेजस्वी यादव ने कहा था कि राहुल गांधी को पीएम बनना चाहिए।
त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में आपका प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन होगा राहुल गांधी या मायावती? इस सवाल के जवाब में तेजस्वी यादव पहले ही कह चुके हैं कि मुझे इस बात की खुशी है कि कम से कम त्रिशंकु लोकसभा के बारे में बात तो हो रही है, वरना एकतरफा ही लोग बात करते थे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. सभी लोग रूठे हुए हैं मोदी जी से. खासतौर पर सभी क्षेत्रीय पार्टियां अपसेट हैं।
बिहार के पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ बिहारी बाबू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ करते हुए दावा किया कि उन्होंने देश में एक निर्णायक माहौल बना दिया है और वे हमारे पीएम उम्मीदवार होंगे। पूरे देश में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, लेकिन सरकार बनाने में सहयोगी दलों की बड़ी भूमिका होगी।
बिहारी बाबू के अनुसार इस बार किसी भी कीमत पर देश में एनडीए की सरकार नहीं बनने जा रही है। कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों के साथ देश भर में पहली बार गठबंधन किया है और 21 तारीख को कांग्रेस की प्री रिजल्ट बैठक होगी और इसमें तय होगा कि पीएम कौन बनेगा. यह गठबंधन की बैठक में ही तय होगा खुद से नहीं।
जहां तक मायावती के पीएम बनने की बात है तो इसमें कई रोड़े हैं। राष्ट्रीय जनता दल इस बात को कभी नहीं स्वीकार करेगा कि मायावती पीएम बनें। मायावती ने अपनी पार्टी का विस्तार बिहार में भी करने का कईबार असफल प्रयास किया। यदि मायावती पीएम बनती हैं तो बसपा का विस्तार न सिर्फ बिहार में हो सकता है बल्कि देश के कई राज्यों में हो सकता है। हालांकि मायवती ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली जैसे राज्यों में भरसक कोशिश की है लेकिन सफलता नहीं मिली।
रही बात ममता बनर्जी की तो ममता को झेलना इतना आसान काम नहीं है। राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा हो रही है कि ममता बात बात पर गुस्से में आ जाती है। उनके अपने दल के कार्यकर्ता तो इस वर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन अन्य दलों के लिए ममता के गुस्से को झेलना आसान काम नहीं होगा।