अमलेंदु भूषण खां
नई दिल्ली। राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के मात्र उपाध्यक्ष हैं। न तो संसद में विपक्ष के नेता हैं और न ही कांग्रेस के नेता हैं। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के कांग्रेस के 25 सासंदो को निलंबित करने के फैसले ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पूरे विपक्ष का नेता बनने का एक अवसर दे दिया। जो राहुल गांधी लोकसभा में पिछले कुछ दिनों से अलग थलग दिख रहे थे वे एकाएक मोदी सरकार के खिलाफ पूरे विपक्ष का नेतृत्व करते दिख रहे हैं।
राहुल ने मौका न गवाते हुए मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के सांसद लोकसभा में न बैठकर सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष करेंगे। मोदी सरकार ने कांग्रेस सांसदो के साथ क्या किया इसे छात्र और किसान इंरनेट पर देख रहे हैं। राहुल का कहना है कि भाजपा नेताओं के त्याग पत्र की मांग कांग्रेस ही नहीं बल्कि पूरा देश मांग कर रहा है। सासंदो के निलंबन पर प्रतिक्रिया देने से न तो वामपंथी देर किए और न ही अन्य दल। विपक्षी दलों को एकजुट होने का मौका मोदी सरकार ने एकझटके में दे दिया। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी के लिए निलंबन का फैसला अच्छा है। लगभग सभी दलों ने कांग्रेस को विश्वास दिलाया है कि वे उनके साथ हैं।
बहुत कम ही सार्वजनिक रैलियों में नजर आने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिह भी सोनिया और राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शरीक हुए। मनमोहन ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि संसद चले तो ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वे हमारी मांगों को माने।
कांग्रेस के सांसदों के निलंबित किए जाने के बाद विपक्ष की सभी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। गैर भाजपा दलों को ऐस लग रहा है कि आगे उनके साथ इसी तरह की कार्रवाई हो सकती है। भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मामले पर कांग्रेस से कन्नी काटने वाली सपा भी कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई है।
मुलायम सिह और मायावती ने भी कांग्रेस के सांसदों के निलंबित किए जाने पर मोदी सरकार का विरोध किया । समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिह ने कहा कि तानाशाह की तरह बर्ताव न करे सरकार, कांग्रेसी सांसदों का निलंबन खत्म करने मांग की।
25 सांसदो के निलंबन से कांग्रेस सांसदो की संख्या तृणमूल कांग्रेस, एआईएडीएमके और बीजू जनता दल से भी कम हो गई है।