जनजीवन ब्यूरो /नई दिल्ली । 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) के नव निर्वाचित सांसदों की बैठक शनिवार को होगी। जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक रूप से अपने नेता के रूप में चुनेंगे। इससे पहले शुक्रवार को मौजूदा केंद्रीय कैबिनेट ने 16वीं लोकसभा भंग करने की सिफारिश कर दी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर अपना और पूरी कैबिनेट का इस्तीफा सौंप दिया है। इस बीच, भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई जिसमें प्रस्ताव पारित करके कहा गया कि विपक्ष ने लोकतंत्र को हराने के लिए भ्रम पैदा करने की कोशिश की लेकिन जनता ने स्पष्ट रूप से नकार दिया। 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में एनडीए की सीटों का आंकड़ा 352 पर पहुंच गया है जिसमें भाजपा को 303 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 96 सीटें मिली हैं। इसमें से 52 सीटें कांग्रेस को मिली हैं। अन्य दलों और निर्दलियों को 94 सीटों पर सफलता मिली है।
एनडीए के नए सांसदों की बैठक कल
भाजपा ने ट्विटर के जरिये जानकारी दी कि एनडीए के नए सांसदों कि बैठक शनिवार की शाम को पांच बजे सेंट्रल हॉल में होगी। सरकारी प्रवक्ता ने अपने ट्विटर पर जानकारी दी कि केंद्रीय कैबिनेट की बैठक शुक्रवार की शाम को होगी। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह की तिथि के बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात कर सकते हैं।
विपक्ष को खारिज किया मतदाताओं नेः भाजपा
भाजपा संसदीय बोर्ड की शुक्रवार को हुई बैठक में कहा गया कि चुनाव में विपक्ष ने लोकतंत्र को हराने की लगातार कोशिशें कीं। चुनाव प्रक्रिया को लेकर जिस प्रकार भ्रम फैलाया गया, उन सभी नकारात्मक विषयों को जनता ने स्पष्ट रूप से नकार दिया। पार्टी ने कहा कि यूपी और बिहार में तथाकथित गठबंधन की हार और पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्व में भाजपा की अप्रत्याशित सफलता, दक्षिण में पार्टी के वोट अनुपात में वृद्धि इस बात का संकेत है कि पार्टी ने सभी क्षेत्रों और वर्गों को सुशासन की नीतियों से जोड़ा है। बैठक में चुनावी हिंसा के शिकार हुए कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी गई और पार्टी के कार्यकर्ताओं को बधाई दी गई।
एनडीए 352 पर तो भाजपा की झोली में 303 सीटें
पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना करें तो एनडीए की सीटें 336 से बढ़कर 352 हो गई। इस तरह उसे 16 सीटों का फायदा हो रहा है। एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भाजपा को 21 ज्यादा सीटें मिली हैं। उसे कुल 303 सीटें मिल रही हैं। हालांकि एक सीट पर नतीजा नहीं आया है लेकिन वह आगे है। पिछले बार उसे 282 सीटें मिली थीं। भाजपा के सहयोगी दलों में शिव सेना को 22 और जनता दल युनाइटेड को 18 सीटों पर सफलता मिली है।
यूपीए की सीटें बढ़कर 96 हुई
यूपीए की सीटें 60 से बढ़कर 96 हो गईं। उसे 36 सीटों को फायदा हुआ। कांग्रेस की सीटें 44 से बढ़कर 52 हो गईं। उसे आठ सीटें ज्यादा मिलीं हैं। इसके बावजूद वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद का दावा नहीं कर सकेगी क्योंकि उसके लिए उसकी सीटें कम रह गईं। नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए विपक्षी दल को कम से कम दस फीसदी सीटें मिलनी चाहिए।
क्षेत्रीय दलों को 53 सीटों का नुकसान
ताजा चुनाव में क्षेत्रीय दलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलाकर अन्य की सीटें 147 से घटकर सिर्फ 94 रह गई। इस तरह उन्हें 53 सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा की सुनामी में बुरी तरह पिछड़ने के बावजूद सपा और बसपा के महागठबंधन की सीटों की संख्या पांच से बढ़कर 15 हो गई। उन्हें दस सीटों का फायदा हुआ। इनमें से सपा को पांच और बसपा को दस सीटें मिलीं हैं। जगन रेड्डी वाली वाईएसआर कांग्रेस की सीटों की संख्या 9 से बढ़कर 22 हो गई। हालांकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सीटें 34 से घटकर 22 रह गई। इन बड़े क्षेत्रीय दलों के अलावा अन्य क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उनकी सीटों की संख्या 99 से घटकर महज 35 रह गई। उन्हें 63 सीटों को भारी भरकम नुकसान हुआ है। इनमें से डीएमके 23 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। सीपीआइ-एम को तीन और सीपीआइ को दो सीटें मिली हैं जबकि उन्हें 2014 में 10 सीटें मिली थीं।