नई दिल्ली। संसद से कांग्रेस सासंदो के निष्कासन के मामले पर एकजुट विपक्ष के अलग अलग होने की संभावना बन रही है। इसकी झलक संसद में उस समय देखने को मिली जब सपा सांसद राम गोपाल यादव अचानक सुषमा स्वराज का गुणगान करने लगे। सपा के इस कदम से सत्ता पक्ष को उम्मीद जगी कि संसद में तमाम बिलों को पास कराने में आ रही अड़चनों के बीट मोदी सरकार को समाजवादी पार्टी का साथ मिल सकता है। वहीं विपक्ष को गहरा धक्का लगा कि विपक्षी एका का एकबार फिर टूट रहा है।
सूत्रों ने बताया है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कांग्रेस का साथ छोड़कर संसद में सरकार की मुश्किलें कम कर सकते हैं.
इस बावत मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से संपर्क में हैं, जिन्होंने सपा मुखिया को बदले में कुछ अच्छा देने का वायदा किया है। यह आशंका तब और पुख्ता हो गया जब मुलायम ने पार्टी की आंतरिक बैठक में भी इस बात की पुष्टि की कि वह एक वरिष्ठ भाजपा नेता से संपर्क में हैं। भाजपा नेता ने इन मसलों को एक साल के अंदर सुलझाने का भरोसा दिया है जिसे सपा नेता ने स्वीकार कर लिया। यह सपा नेता भाजपा और मुलायम के बीच मध्यस्था की भूमिका निभा रहा है।
मुलायम और भाजपा के बीच चल रही इस गुपचुप से कांग्रेस भी अनजान नहीं हे। कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, ‘ऐसा क्या हुआ कि नेताजी को अचानक अपनी सोच बदलनी पड़ी?
वैसे पूरी जानकारी मिलने के बाद ही स्पष्ट प्रतिक्रिया दी जा सकती है। हालांकि सुषमा मामले पर सपा सांसद रामगोपाल यादव पार्टी की भूमिका को पहले ही साफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं सुषमा स्वराज के बयान का समर्थन करता हूं और उनके समर्थन की बात पहले भी कह चुका हूं।