जनजीवन ब्यूरो / पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है और माना जा रहा है कि पार्टी दो फाड़ हो गई है। आरजेडी के बागी नेता महेश यादव ने सोमवार को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि तेजस्वी को प्रतिपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि जनता वंशवाद की राजनीति से तंग आ चुकी है। साथ ही उन्होंने कहा, मैं नाम नहीं लूंगा लेकिन कई विधायक हैं जो अब घुटन महसूस कर रहे हैं।
गौर हो कि लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में आरजेडी सिर्फ 8 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई जबकि 2015 विधानसभा चुनाव में आरजेडी को 80 सीटें मिली थीं। पहली बार अपने करिश्माई नेता लालू प्रसाद की गैर-मौजूदगी में चुनाव लड़ रहे आरजेडी को इस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिल सकी।
आरजेडी का अपने स्थापना वर्ष 1997 के बाद से अब तक का सबसे बदतर प्रदर्शन है। आरजेडी सूत्रों का कहना है कि लालू और अपने परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोपों को धता बताने की पार्टी की कोशिश और क्रिमनल बैकग्राउंड के लोगों को दिए जा रहे लगातार संरक्षण को बिहार की जनता ने पसंद नहीं किया। सीवान और नवादा में आरजेडी ने हत्या और बलात्कार जैसे जुर्म में सजा काट रहे नेताओं की पत्नियों को अपना उम्मीदवार बनाया। इससे जनता ने पसंद नहीं किया।
इस लोकसभा चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस ने उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली आरएलएसपी, मुसहर (दलित) जाति से आने वाले जीतन राम मांझी की अगुवाई वाली हम सेक्यूलर और निषाद समुदाय से आने वाले मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था लेकिन सभी का सूपड़ा साफ हो गया। बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली। 2015 के विधानसभा में आरजेडी, जदूय और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था।