जनजीवन ब्यूरो / पठानकोट । जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या के मामले में विशेष अदालत ने छह लोगों को दोषी करार दिया जबकि एक को शक का लाभ देते हुए बरी कर दिया । मुख्य आरोपी सांजीराम के बेटे (सातवें आरोपी) विशाल को बरी कर दिया गया। दोषियों को कितनी सजा दी जाएगी, यह शाम तक बताया जा सकता है।
मंदिर के संरक्षक व ग्राम प्रधान सांझी राम, एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार को दोषी करार दिया गया है। सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया है।
हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्ता ने कथित रूप से सांझी राम से 4 लाख रुपये लिए और सबूत नष्ट कर दिए थे। देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में ट्रायल 3 जून को पूरा हो गया था। मामले की सुनवाई जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मामले को जम्मू एवं कश्मीर से ट्रांसफर करने के निर्देश के बाद पिछले साल जून के पहले सप्ताह में मुकदमा शुरू हुआ, जिसकी कैमरे में रिकॉर्डिंग भी की गई। पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले का मास्टरमाइंड ग्राम प्रधान सांजी राम था। उसके अलावा स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजूरिया, सुरेंद्र वर्मा, हेड कॉन्स्टेबल, आनंद दत्ता और प्रवेश भी दोषी करार दिए गए हैं। दोषियों को कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
मामले में दाखिल की गई 15 पन्नों की चार्जशीट के अनुसार, कठुआ जिले के रसाना गांव में पिछले साल 10 जनवरी को आठ साल की एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। उसके बाद गांव के एक मंदिर में कथित तौर पर उसके साथ चार दिन दुष्कर्म किया गया और फिर लाठी से पीट कर हत्या कर दी गई।
सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या का आरोप
आरोपियों के खिलाफ जिला और सत्र न्यायाधीश ने बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया था। अदालत ने रणबीर दंड संहिता के साथ, धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) 302 (हत्या)और 376डी (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत आरोप तय किए।
दोषी हुए तो फांसी की सजा संभव
आरोपियों को दोषी पाया जाता है तो उन्हें न्यूनतम आजीवन कारावास और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
लाल सिंह और गंगा को छोड़ना पड़ा था मंत्री पद
मामले में तत्कालीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे भाजपा के दो मंत्रियों, चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में हिस्सा लिया था। बाद में यह मामला सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों पीडीपी और भाजपा के बीच विवाद का विषय बन गया, जिसके बाद दोनों मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ा था।
क्या है मामला
जम्मू के कठुआ में गांव रसाना की 8 साल की बच्ची 10 जनवरी 2018 को लापता हो गई थी। बच्ची को काफी तलाशने के बाद पिता ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लापता होने के 7 दिनों बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली।
बच्ची अपने परिवार के साथ रहती थी। खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से थी। उस बकरवाल समुदाय से, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है। बच्ची के साथ हुई हैवानियत के विरोध में परिजनों ने प्रदर्शन किया और हाईवे जाम कर दिया। 18 जनवरी को एक आरोपी का सुराग लगा और उसे दबोच लिया गया।
22 जनवरी को पुलिस ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी। इस बीच कुछ लोग आरोपियों के पक्ष में खड़े हो गए। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जम्मू) भी इस आंदोलन में शरीक हो गया। नतीजतन 9 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। फिर क्राइम ब्रांच ने 10 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की।