जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्लीं : कठुआ सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड मामले के बारे में सब कुछ, जिसमें तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। तीन को पांच साल की सजा और एक को बरी कर दिया गया। फैसले की घोषणा के मद्देनजर अदालत और कठुआ में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए। मामले की सुनवाई जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने की।
मंदिर के संरक्षक व ग्राम प्रधान सांझी राम, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज को पांच-पांच साल की सजा हुई। वहीं सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया है।
रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना को लेकर इंसानी मनामस्तिष्कह अभी सवालों के झंझावात से जूझ रहा था, गहरी पीड़ा से गुजर रहा था कि तभी आरोपियों के समर्थन में ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली गई। एक तरफ न्या य की गुहार, मासूम के गुनहकारों को सजा दिलाने की अपील और दूसरी तरफ ‘तिरंगा यात्रा’, जिसमें जम्मू एवं कश्मीलर में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार चला रही बीजेपी के दो मंत्री भी शामिल हुए। मामले ने तूल पकड़ा, विवाद बढ़ा तो दोनों के इस्तींफे ले लिए गए।
जनवरी 2018 की इस बर्बर घटना ने जिस तरह सियासी और धार्मिक रंग लिया, उसने एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया, क्यास इंसानियत इसी तरह राजनीति और धर्म की भेंट चढ़ती रहेगी? करीब डेढ़ साल बाद किसी दु:स्वाप्नि की तरह प्रतीत हो रही इस जघन्यत वारदात में अब अदालत का फैसला आया है, जिससे इन आरोपों पर मुहर लग गई है कि उस मासूम के गुनहगारों में रिटायर्ड सरकारी अधिकारी से लेकर पुलिस के अफसर भी शामिल रहे।
इस मामले में फैसला पठानकोट की जिला अदालत ने सुनाया है, जहां पीड़ित परिवार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने केस को शिफ्ट कर दिया था। पिछले करीब डेढ़ साल से तकरीबन रोजाना हुई इस सुनवाई में अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों ने करीब 114 गवाहों से पूछताछ की, उनके बयान लिए गए, जिसके आधार पर जज तेजविंदर सिंह की अध्य1क्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने 6 लोगों को मासूम के साथ हुई दरिंदगी का गुनहगार पाया है, जबकि एक अन्यु नाबालिग को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
सांझी राम : पूर्व रेवेन्यूत अफसर और गांव के सरपंच को अदालत ने इस जघन्ये अपराध का मास्ट रमाइंड ठहराया है। उसके खिलाफ रनबीर पैनल कोड (RPC) की धारा 302 (हत्या ), 376D (सामूहिक दुष्कंर्म), 363 (अपहरण), 120b (आपराधिक षड्यंत्र), 343 (गलत तरीके से बंधक बनाए रखना) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
दीपक खजूरिया, सुरेंद्र वर्मा : ये दोनों जम्मू एवं कश्मी0र पुलिस विभाग में विशेष अधिकारी थे। उन्हेंज बच्चीह के साथ दुष्ककर्म व उसकी हत्याू के लिए सीधे तौर पर दोषी ठहराया गया है।
आनंद दत्ति : इस पुलिस सब इंस्पेिक्टवर पर 4 लाख रुपये की रिश्वयत लेकर उन सबूतों को मिटाने का आरोप लगा था, जो इस मामले में अहम साबित हो सकते थे। उसे आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी ठहराया गया।
तिलक राज : इस पुलिस हेड कॉन्समटेबल को दत्ते के साथ मिलकर साक्ष्या मिटाने के लिए दोषी ठहराया गया है। उसे भी आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी ठहराया गया है।
परवेश कुमार : सांझी राम राम के दोस्ते को इस मामले में सीधे तौर पर शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया है।
ये है मामला
जम्मू के कठुआ में गांव रसाना की 8 साल की बच्ची 10 जनवरी 2018 को लापता हो गई थी। बच्ची को काफी तलाशने के बाद पिता ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लापता होने के 7 दिनों बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली।
बच्ची अपने परिवार के साथ रहती थी। खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से थी। उस बकरवाल समुदाय से, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है। बच्ची के साथ हुई हैवानियत के विरोध में परिजनों ने प्रदर्शन किया और हाईवे जाम कर दिया। 18 जनवरी को एक आरोपी का सुराग लगा और उसे दबोच लिया गया।
22 जनवरी को पुलिस ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी। इस बीच कुछ लोग आरोपियों के पक्ष में खड़े हो गए। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जम्मू) भी इस आंदोलन में शरीक हो गया। नतीजतन 9 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। फिर क्राइम ब्रांच ने 10 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की।
विरोध प्रदर्शनों के बाद पठानकोट स्थानांतरित किया गया केस
वकीलों ने इसका विरोध करते हुए 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को पूरे जम्मू-कश्मीर का बंद बुलाया और वे कठुआ जिला जेल के बाहर लगातार प्रदर्शन करते रहे। पीड़ित परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला कठुआ से पठानकोट की सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया।
कोर्ट में 15 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी और 8 जून 2018 को सात आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किए थे। ट्रायल 3 जून 2019 को पूरा हो गया था। केस में कुल 221 गवाह बनाए गए हैं। 55वें गवाह के रूप में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पेश हुए।
56वें गवाह के रूप में फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी के एक्सपर्ट को पेश किया गया। जब से केस की सुनवाई शुरू हुई, तब से अब तक सभी तारीखों पर सुनवाई की वीडियोग्राफी कराई गई है। सातों आरोपियों को कठुआ से गुरदासपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।