जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर समयबद्ध सुझाव देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समिति का गठन करेंगे। यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कही। वह सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकांश दलों ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया है।
हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए। संसद में बुधवार दोपहर लगभग 3 बजे शुरू हुई बैठक में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर उपस्थित रहे। बैठक करीब 3 घंटे तक चली।
पीएम मोदी ने बैठक में कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव पर करीबी नजर रखने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ज्यादातर पार्टियों ने वन नेशन, वन इलेक्शन को अपना समर्थन दिया, सीपीएम और सीपीआई की राय अलग हैं, लेकिन उन्होंने इस विचार का विरोध नहीं किया, बस इसके कार्यान्वयन के बारे में चिंता जाहिर की। पीएम मोदी द्वारा गठित समिति इन सभी मुद्दों पर गौर करेगी।’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हमने 40 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया था, जिनमें से 21 दलों के अध्यक्षों ने भाग लिया और 3 अन्य दलों ने लिखित रूप से इस पर अपनी राय भेजी।’
इनके अलावा अपना दल के आशीष पटेल, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, सीपीआई के डी राजा, सुधाकर रेड्डी और सीताराम येचुरी भी बैठक के लिए पहुंचे। जेडीयू के नीतीश कुमार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, बीजेडी के नवीन पटनायक, YSRCP के जगन मोहन रेड्डी भी बैठक में शामिल हुए।
बैठक में शामिल हुए मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस विचार को लोकतंत्र विरोधी और राज्य विरोधी बताया है। येचुरी ने कहा कि यह व्यवस्था संसदीय लोकतांत्रित व्यवस्था की जड़ पर चोट करने वाला है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने का मतलब सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए बनी संवैधानिक योजना से खिलवाड़ करना है।’
माकपा ने इस विचार का विरोध करते हुए कहा कि एक साथ होने वाले चुनाव राज्यपाल की भूमिका के साथ व्यवस्था में केंद्र की दखलअंदाजी को बढ़ाएंगे। येचुरी ने कहा, ‘लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाने में आने वाली तकनीकी समस्याओं के अलावा हम यह मानते हैं कि यह मूल रूप से राज्य विरोधी और लोकतंत्र विरोधी है।
प्रमुख विपक्षी दलों के कई नेताओं ने बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया। बैठक में शामिल नहीं होने वाले नेताओं की सूची में पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। एनडीए के साझेदार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी बैठक में भाग नहीं लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भाग नहीं लिया, क्योंकि वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के विचार का विरोध कर रही है।
बसपा प्रमुख मायावती भी बैठक में शामिल नहीं हुईं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है और न ही चुनाव को कभी धन के व्यय-अपव्यय से तौलना उचित है। देश में एक देश, एक चुनाव की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजबारी, बढ़ती हिंसा जैसी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास व छलावा मात्र है। बैलेट पेपर के बजाए ईवीएम के माध्यम से चुनाव की सरकारी जिद से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरे का सामना है। ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिन्ताजनक स्तर तक घट गया है। ऐसे में इस घातक समस्या पर विचार करने हेतु अगर आज की बैठक बुलाई गई होती तो मैं अवश्य ही उसमें शामिल होती।’
ओडिशा के सीएम और बीजेडी चीफ नवीन पटनायक ने कहा, ‘हमारी पार्टी वन नेशन, वन इलेक्शन के विचार का समर्थन कर रही है।’ वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें उन वादों पर ध्यान देना चाहिए जो उन्होंने लोगों से किए हैं, हमें उम्मीद है कि वे उन वादों को पूरा करने पर अधिक काम करेंगे। वन नेशन वन इलेक्शन जैसे निर्णय, कई दल हैं जो इसके लिए कभी सहमत नहीं होंगे।