जनजीवन ब्यूरो / बेंगलुरु : पूर्व पधानमंत्री और जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी देवे गौड़ा ने बंगलूरू में राज्य में मध्यावधि चुनाव की आशंका जताई। उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि वह पांच सालों तक हमारा समर्थन करेंगे लेकिन अब उनके व्यवहार को देखिए। हमारे लोग स्मार्ट हैं।’
राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी कई बार गठबंधन सरकार चलाने का दर्द बयां कर चुके हैं।
इससे पहले 20 जून को देवगौड़ा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करके कहा कि वह कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीयू गठबंधन सरकार को लेकर दोनों पार्टियों के कुछ नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से आहत हैं।
गौड़ा की यह प्रतिक्रिया राज्य की जेडीयू-कांग्रेस गठबंधन सरकार के उन नेताओं के बयानों पर आई है जो राज्य में लोकसभा चुनावों के बाद सार्वजनिक रूप से अपने मतभेदों को बार-बार हवा दे रहे हैं। दोनों पार्टियों को लोकसभा चुनाव में एक-एक सीट मिली थी, जबकि भाजपा ने राज्य की 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
समय-समय पर कर्नाटक में कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी लगती रही हैं लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान पर देवगौड़ा की प्रतिक्रिया काफी अहम है। देवगौड़ा ने कहा, ‘कुछ लोग जेडी-एस के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं चाहते। गठबंधन सरकार चलानी है अथवा नहीं, इसका फैसला जनता को कर लेने दें।’
पूर्व पीएम के इस बयान से संकेत मिलता है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। दोनों दलों के बीच मतभेद एक बार फिर उभरकर सामने आ गए हैं। सिद्धारमैया ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा है कि कांग्रेस को इस गठबंधन का लाभ न होकर नुकसान हुआ है। इसलिए इस बारे में पार्टी नेतृत्व को जल्द फैसला कर लेना चाहिए।
एचडी कुमारस्वामी ने भी बयां किया है दर्द
कर्नाटक कैबिनेट का हाल ही में विस्तार करने वाले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा कि वह नहीं बता सकते रोजाना वह कितना दर्द सहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर सरकार ठीक तरीके से चलाने की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं वादा करता हूं कि मैं आपकी उम्मीदों को पूरा करूंगा। मैं रोजाना किस दर्द से गुजरता हूं, मैं उसके बारे में नहीं बता सकता। मैं उस दर्द को आपके साथ बांटना चाहता हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता। मेरे ऊपर सरकार ठीक तरीके से चलाने की जिम्मेदारी है।’
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-जेडीएस में बढ़े हैं मतभेद
बता दें कि लोकसभा चुनावों में गठबंधन की हार होने बाद कांग्रेस और जेडी-एस के बीच मतभेद गहरे हो गए हैं। दोनों पार्टियों को एक-एक सीट पर जीत मिली है जबकि राज्य की लोकसभा की 28 सीटों में से भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की है। कुमारस्वामी का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद भाजपा एक बार फिर उनकी सरकार गिराने की कोशिशों में जुटी है। कुमारस्वामी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के एक विधायक को भाजपा ने 10 करोड़ रुपए की पेशकश की।
भाजपा ने कुमारस्वामी के आरोपों को नकारा
वहीं, भाजपा का कहना है कि वह कर्नाटक की गठबंधन सरकार गिराने के लिए कोई सक्रिय कदम नहीं उठाएगी। भाजपा ने जेडी-एस के विधायकों को प्रलोभन देकर सरकार गिराने के कुमारस्वामी के आरोपों को भी खारिज किया है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस छोड़ पार्टी में शामिल हुए विधायक उमेश जाधव को कलबुर्गी सीट से लोकसभा का टिकट दिया था। जाधव ने इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को हराया। लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी हार की उम्मीद कांग्रेस और जेडी-एस दोनों पार्टियों में से किसी ने भी नहीं की थी। इस हार ने दोनों पार्टियों को नए सिरे से अपनी राजनीतिक समीकरणों पर विचार करने के लिए बाध्य किया है।