जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कर्ज के बोझ तले दबे निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए उसके कर्मचारियों के समूह ने लंदन की कंपनी के साथ बोली लगाने की बात कही है। कर्मचारी समूह ने शुक्रवार को बताया कि वह लंदन के आदि समूह के साथ मिलकर बोली लगाएगा। जेट एयरवेज कर्मचारियों के संघ और एडीआई ग्रुप ने बंद पड़ी एयरलाइनंस की 75 फीसदी हिस्सेदारी की बोली लगाने के लिए साझेदारी की घोषणा की है। यह जेट एयरवेज को खरीदने की अपने तरह की पहली ऐसी पहल है। जेट एयरवेज के बंद होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। एयरलाइन का दोबारा संचालन शुरू होने से कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
यह देश की पहली ऐसी विमानन कंपनी है जो एनसीएलटी के तहत दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही है। एनसीएलटी में कंपनी के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक ने 26 अन्य ऋणदाताओं की ओर से 20 जून को दिवाला एवं शोधन अक्षमता प्रक्रिया शुरू करने की याचिका दायर की थी। जेट एयरवेज पर बैंकों का करीब 8500 करोड़ रुपए और वेंडरों, पट्टा देने वालों और कर्मचारियों इत्यादि का 25,000 करोड़ रुपये बकाया है। जेट एयरवेज का परिचालन 17 अप्रैल से बंद है और उसे बेचने की बैंकों के समूह की कोशिशें नाकाम रही हैं।
वहीं गुरुवार को नागरिक विमानन राज्यमंत्री हरदीप पुरी ने संसद में कहा था कि जेट एयरवेज का जीर्णोद्धार केवल ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड’ (आईबीसी) से ही संभव है। उनका कहना था कि प्रमोटरों ने जेट के लिए पूरी राशि उपलब्ध नहीं कराई इसीलिए सरकारी बैंक भी एयरलाइन की मदद नहीं कर सके। बता दें कि जेट एयरवेज का संचालन 17 अप्रैल से ही बंद है।
नरेश गोयल ने कारोबारी समुदायों से मदद की गुजारिश की थी लेकिन उन्हें सहायता नहीं मिल सकी। टाटा ग्रुप ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई लेकिन बाद में कदम पीछे खींच लिए। चर्चा यह भी थी कि हिंदुजा ग्रुप जेट एयरवेज को खरीदना चाहता है।
इस वक्त जेट की सेवाएं न सिर्फ बंद हैं, बल्कि इसके विदेशी रूट्स पर प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस कंपनियां निगाहें गड़ाए हुए है। विमानन नियामक ने इसके कुछ घरेलू मार्गों को अस्थायी तौर पर प्रतिद्वंद्वी विमानन कंपनियों को दे दिया। बताया जाता है कि जेट के आधे अति व्यस्ततम विदेशी रूट्स को एयर इंडिया को दे दिया गया है और बाकी घरेलू कंपनियों को दिए जाएंगे।
कर्मचारी समूह का कहना है कि यह जेट एयरवेज को खरीदने की अपने तरह की पहली कोशिश है। कर्ज के बोझ से दबी जेट एयरवेज देश की पहली ऐसी विमानन कंपनी है जो एनसीएलटी की दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही है। एनसीएलटी में कंपनी के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 26 कर्जदाता बैंकों ने दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून के तहत समाधान प्रक्रिया शुरू करने की याचिका लगाई है।
इन बैंकों को कंपनी से 8.5 हजार करोड़ रुपये की वसूली करनी है। इसके अलावा कंपनी पर वेंडरों, पट्टा देने वालों और कर्मचारियों का भी 25,000 करोड़ रुपये बकाया है।
हर कर्मचारी होगा मालिक
कर्मचारियों के समूह और आदि ग्रुप ने साझा बयान जारी कर कहा है कि यह भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में एक नए सवेरे की शुरुआत है। यह पहली बार होगा जब किसी विमानन कंपनी का प्रत्येक कर्मचारी उसका मालिक होगा और उसका परिचालन भी कर रहा होगा। दोनों भागीदार 2,500 से 5,000 करोड़ के बीच में बोली लगा सकते हैं।