जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के 13 बागी विधायकों के मामले पर मंगलवार तक यथास्थिति बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार तक यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए मंगलवार तक का वक्त दिया है। अब मामले में उसी दिन अगली सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने संबंधित पक्षों की दलीलों को सुना। बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने स्पीकर पर जानबूझकर इस्तीफों पर फैसले में देरी का आरोप लगाया। जवाब में स्पीकर रमेश कुमार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें प्राप्त विशेषाधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि इस्तीफों पर फैसले से पहले स्पीकर उसके कारण को लेकर पहले संतुष्ट होना चाहते हैं।
10 बागी विधायकों ने कोर्ट से मांग की है कि वह स्पीकर को निर्देश दें कि उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाएं। दूसरी तरफ स्पीकर ने विधायकों के खिलाफ डिस्क्वॉलिफिकेशन पिटिशन का हवाला देते हुए इस्तीफे पर फैसले के लिए और ज्यादा वक्त की मांग की है।
किसकी क्या दलील
इस्तीफा अयोग्य ठहराए जाने से बचने का पैंतरा: सिंघवी
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील रखी। सिंघवी ने कहा कि इस्तीफा अयोग्य ठहराए जाने से बचने के लिए एक पैंतरा मात्र है। उन्होंने कहा कि स्पीकर का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह देखें कि किस वजह से इस्तीफा दिया जा रहा है। उन्होंने आर्टिकल 190 का हवाला देते हुए कहा कि स्पीकर जबतक संतुष्ट नहीं होंगे कि इस्तीफे मर्जी से दिए गए हैं, किसी तरह का दबाव नहीं है, तबतक वह फैसला नहीं ले सकते। बता दें कि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पीकर से कहा था कि वह विधायकों के इस्तीफे पर एक दिन में फैसला लें।
सीजेआई बोले, क्या SC की शक्तियों को चुनौती दे रहे स्पीकर?
सिंघवी की इस दलील पर सीजेआई रंजन गोगोई ने सख्त टिप्पणी की। उन्होंने पूछा कि क्या स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दे रहे हैं? इस पर सिंघवी ने कुछ प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि स्पीकर का पद एक संवैधानिक पोस्ट है। सिंघवी ने कहा कि स्पीकर के पास कांग्रेस ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए भी आवेदन दिया है और स्पीकर का संवैधानिक दायित्य है कि वह विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिका पर विचार करें।