जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : बिहार में अभी चमकी बीमारी से बच्चों की मौत तो हो ही रही है। लेकिन आज जो तस्वीर बच्चे की आई है वह आपको रोने के लिए मजबूर कर देगी। बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे बिहार में उफनती बागमती नदी के तट से एक मासूम की तस्वीर सामने आई है, जिसने मानवीय संवेदनाओं को एक बार फिर हिलाकर रख दिया है। एक साल के मासूम की यह तस्वीर सीरियाई बच्चे एलन कुर्दी की याद दिलाती है, जिसने न केवल सीरिया में जारी मानवीय संकट की गंभीरता की ओर दुनिया का ध्यान खींचा, बल्कि प्रवासियों की बदहाल स्थिति को भी दुनिया के समक्ष रखा। इसी तरह की तस्वीर अभी कुछ ही दिनों पहले अमेरिका-मेक्सिको सीमा से सामने आई थी, जिसमें एक पिता और उसकी दो साल से भी कम उम्र की मासूम बेटी की जान नदी में डूबने से चली गई। उनका कसूर केवल इतना था कि बेहतर जिंदगी की तलाश में वे अमेरिका जाना चाहते थे और सख्त नियमों से बचने के लिए उन्होंने यह खतरनाक तरीका अपनाया। अब बिहार से आई तस्वीर ने भी कुछ सवाल खड़े किए हैं, जिस पर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है।
बिहार में बागमती नदी के तट से आई मासूम की तस्वीर जहां बाढ़ की विभीषिका को दर्शाती है, वहीं मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोरती है और प्रशासन से सवाल करती है, आखिर कब तक? कब तक तटबंध टूटते रहेंगे, बाढ़ आती रहेगी और जानमाल का नुकसान होता रहेगा? ऐसे में जबकि बिहार के कुछ हिस्से हर साल इस विभीषिका को झेलने के लिए मजबूर हैं, ये सवाल और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।
बिहार में उफनती नदी के किनारे से जिस बच्चे की मार्मिक तस्वीर सामने आई है, सोशल मीडिया पर लोग उसकी तुलना सीरियाई मासूम एलन कुर्दी से कर रहे हैं, जो 2015 में शरणार्थियों से भरी नौका के भूमध्यसागर पार करने के दौरान हुए हादसे में अपनी जान गंवा बैठा।
यह घटना मुजफ्फरपुर जिले के शीतलपट्टी गांव की बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां एक महिला कपड़े धोने नदी किनारे गई थी। उसके चार बच्चे भी साथ थे। तभी एक बच्चा फिसलकर नदी में जा गिरा, जिसे बचाने के लिए मां और उसके तीन अन्य भाई-बहनों ने भी नदी में छलांग लगा दी। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका, बल्कि उस महिला के दो अन्य बच्चों की भी जान चली गई। ग्रामीणों की मदद से केवल महिला व उसकी बेटी को ही बचाया जा सका।
सोशल मीडिया पर बच्चे की तस्वीर सामने आने के बाद अब इस मुद्दे पर प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है। विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को कठघड़े में करते हुए कहा कि सरकार के पास संवेदना तक नहीं बची है। आरजेडी ने ट्वीट कर कहा, ‘याद है सीरिया में समुद्र तट पर बहकर आये एक मासूम शरणार्थी का शव देखकर पूरी दुनिया रो उठी थी… लेकिन शायद बिहार की प्रलयंकारी बाढ़ में अपना जीवन खोने वाले बच्चे के लिए आंसू बहाने के लिए न तो सरकार है वे संवेदनशील हृदय!’
आरजेडी ने हालांकि इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला है, पर प्रशासन ने इस घटना को आपराधिक करार देते हुए कहा कि इसका बाढ़ से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह खुदकुशी का मामला है। मुजफ्फरपुर के डीएम आलोक रंजन घोष ने मामले में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि स्थानीय लोगों से बातचीत व शुरुआती जांच के बाद जो तथ्य सामने आया है, वह ये है कि महिला की उसके पति से उस दिन फोन पर बात हुई, जो पंजाब में रहता था। दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई, जिसके बाद ही महिला अपने तीनों बच्चों के साथ नदी किनारे गई और पहले खुद बच्चों को धक्का दिया और फिर छलांग लगा दी।