जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कर्नाटक में नाटक जारी है। कभी विरोधी तो कभी सत्ता पक्ष नाटकीय ढंग से देश की सर्वोच्च अदालत पहुंचकर मामले को रसीला बना रहे हैं। कर्नाटक कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश की वजह से पार्टी का अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का अधिकार खतरे में आ गया है। यह याचिका कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने दायर की है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि बागी विधायकों को बहुमत परीक्षण की कार्यवाही में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने या न लेने का विकल्प दिया था। इस आदेश के कारण 19 विधायक बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने नहीं आए थे।
फैसले से कमजोर हुआ व्हिप जारी करने का अधिकार : कांग्रेस
याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है। राव ने कहा कि न्यायालय को इस आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा था कि इस मामले में पार्टी है ही नहीं, फिर उसके अधिकार को सुप्रीम कोर्ट कैसे रोक सकता है।
बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण संभव नहीं : रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों के मामले में पार्टी कहीं भी पक्षकार नहीं है। ऐसे में हमें सुना जाना चाहिए। अदालत का यह निर्णय पार्टी को संविधान की दसवीं सूची में मिले व्हिप के अधिकार की सही व्याख्या नहीं कर सकता। आखिर बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण कैसे संभव है? गैर हाजिर रहने वाले विधायक तो कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। दूसरे राज्य में वर्तमान सरकार को अपदस्थ करने का षडयंत्र चल रहा है और उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी को एक बार फिर पत्र लिखा है। राज्यपाल ने सीएम से अब आज शाम 6 बजे तक बहुमत साबित करने को कहा है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने स्पीकर से गुहार लगाई है कि वह उन्हें गवर्नर के ‘लव लेटर’ से बचाएं। इससे एक दिन पहले भी गुरुवार को राज्यपाल ने सीएम को पत्र लिखा था और शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने को कहा था। राज्यपाल की डेडलाइन बीतने के बाद भी सदन में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हो पाई, जिसके बाद उन्होंने फिर से पत्र लिखा है।
इससे पहले राज्यपाल वजुभाई वाला ने गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार को खत लिखकर कहा था कि वह गुरुवार को ही विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराए। यहां भी राज्यपाल की सलाह को अनसुना करते हुए डेप्युटी स्पीकर ने गुरुवार रात को सदन की कार्यवाही को अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया था। विरोध में बीजेपी सदस्यों ने रातभर सदन में ‘धरना’ दिया। बीजेपी विधायकों ने गुरुवार रात को विधानसभा में ही खाना खाया और वहीं पर सोए भी।
गवर्नर के ‘लव लेटर’ से दुख पहुंचा: सीएम
दूसरी तरफ, राज्यपाल की दूसरी चिट्ठी के बाद मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा कि गवर्नर के दूसरे ‘लव लेटर’ से उन्हें दुख पहुंचा है। विधानसभा में सीएम ने कहा, ‘मैं गवर्नर का सम्मान करता हूं। लेकिन उनके दूसरे लव लेटर से मुझे कष्ट हुआ है।’ इसके बाद उन्होंने पूर्व सीएम और बीजेपी नेता बी. एस. येदियुरप्पा के पीए संतोष की निर्दलीय विधायक एच. नागेश के साथ हवाई जहाज में चढ़ते वक्त की कथित तस्वीर दिखाते हुए बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप दोहराया।