जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों की घुसपैठ हो या नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी का भारत सरकार न सिर्फ कुटनीतिक तरीके से जवाब दे रही है बल्कि पूरी दुनिया का भी ध्यान इस ओर आकृष्ट करने में सफल हो रहा है। विदेश मंत्रालय का मानना है कि पाकिस्तान के उकसावे को भारत गंभीरता से टालने में सफल हो रहा है।
केंद में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद ऐसा लगा था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर भारत सरकार की नीतियों में बदलाव देखने को मिलेगा। लेकिन भारत की जो विदेश नीति है उसमें बदलाव के रास्ते कम हैं। पिछले साल अगस्त में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने नई दिल्ली में जब हुर्रियत नेताओं के साथ मुलाकात की तो भारत सरकार ने इस्लामाबाद को कड़ा संदेश देते हुए विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द कर दी थी। भारत सरकार जब भी पाकिस्तान के साथ आपसी रिश्ते सुधारने की पहल करती है पाकिस्तान की ओर से ऐसी हरकतें की जाती हैं जिससे बातचीत प्रक्रिया पटरी से उतर जाए। यह बात भारत को समझने की जरूरत है कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ-साथ वहां की नागरिक सरकार भी नहीं चाहती कि भारत के साथ उसके रिश्ते सामान्य हों।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो पाकिस्तान की कोशिश है कि भारत किसी तरह युद्ध के लिए तैयार हो जाए। अगर ऐसा होता है तो इसमें सबसे ज्यादा नुकसान भारत का ही होगा, क्योंकि पाकिस्तान को खोने के लिए कुछ भी नहीं है। विकास के मामले में पाकिस्तान की तुलना भारत से नहीं की जा सकती। भारत विकास के क्षेत्र में काफी आगे निकल चुका है। इसलिए पाकिस्तान चाहता है कि भारत को परेशान किया जाए ताकि विकास की पटरी से अलग थलग किया जा सके।
भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सरजमीं से रची जाने वाली साजिशों की जानकारी वहां की सरकार और उनके हुक्मरानों को नहीं होती है ऐसी बात नहीं है । सरकारें इतनी भी लाचार नहीं होती जितना की पाकिस्तान सरकार दावा करती है। यह पाकिस्तान की नागरिक सरकार की सोची समझी चाल है जो सब कुछ जानते-समझते हुए अनजान बने रहने का ढोंग करती है। यह रणनीति एक तरीके से भारत को आक्रामक कार्रवाई करने से रोकने की हो सकती है ।
मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो पाकिस्तान की सरकार सेना और खुफिया एजेंसी के नापाक मंसूबों को ही पूरा करने का काम करती है। जहां तक भारत का संबंध है वहां की सरकार और सेना के बीच कोई फर्क नहीं है। दोनों भारत विरोधी हैं। पाकिस्तान इस बात का दुखड़ा रोता रहता है कि वह खुद आतंकवाद का शिकार है और उसके करीब 50000 लोग आतंकवाद के शिकार हो चुके हैं। लेकिन यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है उसे अपने ‘सांपों’ से कैसे निपटना है यह उस पर निर्भर करता है।
मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो आतंकी घटनाएं और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती। भारत की हर दलील का जवाब पाकिस्तान के पास होगा। भारत कहेगा कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, तो पाकिस्तान कहेगा भारत भी पाकिस्तान में ऐसा ही कर रहा है। भारत 26/11 को आरोप लगाएगा तो पाकिस्तान समझौता एक्सप्रेस का जिक्र करेगा।