जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन कर जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और अनुच्छेद 370 की अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया। इसपर तीखी बहस जारी है। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने नियमों का उल्लंघन करते हुए रातोंरात एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम सांसद इस संकल्प पर अपने विचार रख रहे हैं।
लद्दाख के भाजपा सांसद का तंज भरा बयान
लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल: मैं करगिल से चुनकर आता हूं। मैं गर्व के साथ कहता हूं कि यहां की जनता ने केंद्रशासित प्रदेश के लिए वोट दिया था। क्या ये लोग (विपक्ष) करगिल को जानते हैं। हजारों लोगों की आवाज दबाना, ये आपका लोकतंत्र था क्या। मैं कल से चर्चा सुन रहा था। 370 गया तो जम्मू-कश्मीर में समानता नहीं रहेगी। आप लद्दाख का फंड भी लेकर जाते हो। वहां का पूरा फंड गायब कर देते हो। क्या ये आपकी इक्वालिटी है। जम्मू-कश्मीर वाले लड़ झगड़कर अपना हिस्सा ले लेते हैं, लेकिन लद्दाख वालों को कुछ नहीं मिलता। लद्दाख में एक भी उच्च शिक्षण संस्थान नहीं दिया। हाल ही में एक यूनिवर्सिटी नरेंद्र मोदी जी ने दिया। मोदी है तो मुमकिन है। 2008 में आपने जम्मू और कश्मीर में 4-4 जिले दिए, लद्दाख को एक भी नहीं दिया, क्या ये आपकी इक्वालिटी है। जम्मू कश्मीर में आपने बुद्धिस्ट परिवारों को खत्म करने का प्रयास किया, क्या ये आपका सेक्युलरिज्म है।
क्या कश्मीर की जनता फैसले से खुश है?
लोकसभा में सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रिया जी के पड़ोसी भी उनके बगल में नहीं और मेरे पड़ोसी भी नहीं हैं। अखिलेश ने कहा कि मंत्री कह रहे थे कि संविधान सभा से पारित कर यह प्रस्ताव लाए हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश के लिए यह फैसला लिया गया है वहां की जनता का क्या मत है यह तो जान लेना चाहिए, वहां के लोग इस फैसले से खुश हैं या नहीं। फैसले को संविधान सभा से पारित करने के अखिलेश के बयान पर शाह ने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा है आपने गलत समझा। अमित शाह ने कहा कि संविधान सभा मतलब जम्मू कश्मीर की विधानसभा की ओर से राष्ट्रपति यह प्रस्ताव लेकर आए हैं।
नेहरू के कारण मिला 370 का कलंक
विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद किशोर शर्मा ने कहा कि नेहरू के कारण इस धारा का कलंक हमारे ऊपर लगा है। सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तब भी इसका विरोध किया था। इस धारा ने कश्मीर को भारत से दूर करने का कार्य किया है। इसके कारण वहां भ्रष्टाचार बढ़ता चला गया क्योंकि केंद्र की एजेंसियां वहां जांच नहीं कर सकती है। मोदी सरकार से दिया गया गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण भी वहां लागू नहीं होता है। आतंकवाद भी अनुच्छेद 370 की ही देन है। इसके कारण हमारे जवानों और लोगों को जान गंवानी पड़ती है।
हमें इसकी भनक तक नहीं थी
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने लोकसभा में अनुच्छेद 370 पर चर्चा के दौरान कहा, ‘इस सदन के सदस्य मिस्टर फारूक अब्दुल्ला अनुपस्थित हैं। उन्हें गिरफ्तार किया गया है। हमें इसकी भनक नहीं थी। आपको एक अध्यक्ष के रूप में सदस्यों की सुरक्षा करनी चाहिए। आपको तटस्थ होना चाहिए।’
देश में किस तरह की मिसाल कायम कर रहे हैं
तिवारी ने कहा, ‘पंडित नेहरू ने कदम उठाकर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया। उस विलय में कुछ वादे किए गए थे। 1952 में भारत के संविधान में धारा 370 को शामिल किया गया। भारतीय संविधान में केवल अनुच्छेद 370 ही नहीं है। इसमें अनुच्छेद 371 ए से आई भी है। यह नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम आदि को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। आज जब आप अनुच्छेद 370 को समाप्त कर रहे हैं, तो आप इन राज्यों को क्या संदेश भेज रहे हैं? आप कल अनुच्छेद 371 को निरस्त कर सकते हैं? उत्तर पूर्वी राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करके और संसद में उनकी विधानसभाओं के अधिकारों का उपयोग करके, आप अनुच्छेद 371 को भी रद्द कर सकते हैं? आप देश में किस तरह की संवैधानिक मिसाल कायम कर रहे हैं? यदि आज जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा हैं तो उसकी वजह पंडित नेहरू हैं।’
कांग्रेस ने बताया इतिहास
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आजादी के बाद दो मुल्क बने और एक भारत और दूसरा पाकिस्तान। इसके बाद 562 रियासतें बनीं जिन्हें कहीं भी जाने की आजादी थी। तीन रियासतों को लेकर संवेदनशील स्थिति बनी जिसमें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ शामिल था। महात्मा गांधी ने जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह से कश्मीर का भारत में विलय करने की अपील की थी लेकिन राजा असमंजस में थे। पाकिस्तान ने जब कश्मीर पर हमला कर दिया और वह श्रीनगर की तरफ बढ़ने लगे तो राजा के पास पाकिस्तान में विलय करने या भारत के साथ जाने का विकल्प था। राजा ने पाकिस्तानी घुसपैठियों का सामना किया और भारत से मदद मांगी। इसके बाद राजा ने नेहरू की अगुवाई में भारत से संधि पर हस्ताक्षर किए और फौज को कश्मीर बचाने के लिए भेजा गया।
दुनिया देख रही है, शांति से करें चर्चा
गृहमंत्री ने पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के लिए दो केंद्र शासित प्रदेश लेकर आ रहे हैं जिसमें लद्दाख और जम्मू कश्मीर होंगे। जम्मू-कश्मीर मे विधानसभा होगी और वहां चुना हुआ मुख्यमंत्री काम करेगा। मैं हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हूं आप इसपर चर्चा कीजिए। हम शांत माहौल में चर्चा चाहते हैं क्योंकि घाटी सहित देश और दुनिया हमें देश रही है।
विपक्ष जो पूछेगा उसका जवाब देंगे
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष जो पूछेगा उसका हम जवाब देंगे लेकिन मुझे अपनी बात रखने दीजिए। धारा 373 (3) का प्रयोग करके राष्ट्रपति इसे सीज कर सकते हैं लेकिन राष्ट्रपति तभी ये अधिसूचना निकाल सकते हैं जब जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुशंसा हो। कांग्रेस इस प्रावधान का उपयोग 1952 और 1955 में कर चुकी है। महाराजा के लिए पहले सदर-ए-रियासत और फिर 1965 में इसे गवर्नर किया गया। जम्मू कश्मीर में विधानसभा नहीं चल रही है और ऐसे में इसी संसद में जम्मू-कश्मीर के सारे अधिकार निहित हैं।
स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा आज का दिन
गृह मंत्री ने कहा कि आज सदन जिसपर विचार कर रहा है वह प्रस्ताव और विधेयक भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। राष्ट्रपति ने कल एख संवैधानिक आदेश जारी किया है जिसके तहत भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे। साथ ही कश्मीर को मिलने वाले विशेष अधिकार भी नहीं रहेंगे और मैं पुनर्गठन बिल लेकर आया हूं। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसपर कोई कानूनी या संवैधानिक विवाद नहीं है। जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 (सी) में इस बात का जिक्र है। संसद कश्मीर पर कानून बनाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। हम राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद संकल्प लेकर आए हैं।
जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा
कांग्रेस को जवाब देते हुए शाह ने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ का अभिन्न हिस्सा है। कश्मीर की सीमा में पीओके भी आता है। जान दे देंगे इसके लिए। मैंने सदन में जब जब जम्मू और कश्मीर राज्य बोला है तब-तब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अकसाई चीन दोनों इसका हिस्सा हैं। ये बात है। संसद को जम्मू-कश्मीर पर कानून बनाने का अधिकार है। कोई हमें कानून बनाने से नहीं रोक सकता। दोनों हिल काउंसिल अस्तित्व में रहेगें। हिल काउंसिल के सदस्यों को मंत्री का दर्जा मिलेगा।’