जनजीवन ब्यूरो / मुंबई । मुंबई में एक किशोरी सिर में चोट की वजह से अचेत अवस्था में थी। उसके दिमाग के एक हिस्से को गंभीर चोट पहुंची थी लेकिन डॉक्टरों की मदद से अब वह ठीक हो गई है। इतना ही नहीं, किशोरी ने 12वीं कक्षा की परीक्षा में 94 फीसदी अंक हासिल किए हैं। डॉक्टर कहते हैं कि सिर पर इतनी गंभीर चोट होने के बाद शख्स का पूरी तरह से ठीक होना बहुत मुश्किल होता है।
दरअसल, 17 वर्षीय पाखी मोर का नवंबर 2017 में ऐक्सिडेंट हो गया था, उस वक्त वह ट्यूशन क्लास जा रही थीं। उनकी दोपहिया की एक गाड़ी से इतनी जबरदस्त टक्कर हुई कि पाखी गंभीर रूप से चोटिल हो गईं।
पाखी के पिता अरुनि मोर कहते हैं, ‘पाखी के सिर में गंभीर चोटें आईं और शरीर के निचले हिस्से में भी कई फ्रैक्चर हुए। वह लगभग कोमा वाली स्थिति में थी।’ उन्होंने बताया, ‘पाखी की हालत बहुत खराब थी, जिसके बाद हमने मुंबई आने का फैसला किया।’ वह कहते हैं कि हम अपनी बेटी की ऐसी हालत नहीं देख सकते थे। पाखी अपने परिवारवालों के साथ पिछले वर्ष जनवरी महीने में ऐम्बुलेंस के जरिए मुंबई आईं। अंधेरी स्थित कोकिलाबेन अंबानी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें नागपुर में लाइफ सेविंग सर्जरी करानी चाहिए।
शरीर का निचला हिस्सा भी चोटिल
कोकिलाबेन हॉस्पिटल के डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं, ‘हालांकि, उनके दिमाग का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, जो कि उनके ज्ञान संबंधी कौशल जैसे कि बोलने, पढ़ने, बातचीत को प्रभावित करता था। वह एकदम अचेत अवस्था में थीं और खुद से कोई भी कार्य नहीं कर पाती थीं।’ हैरान करने वाली बात तो यह है कि हेलमेट पहनने के बावजूद उनके दिमाग की दाईं ओर बुरा असर पड़ा और मिडलाइन डैमेज हो गई। अस्पताल ने उनकी 6-8 हफ्तों की एक न्यूरो रीहैबिलिटेशन थेरेपी कराई। पाखी में तेजी से बदलाव नजर आने लगे। इतना ही नहीं, उनके पिता ने बताया कि उसने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की और बोर्ड परीक्षा में 94 फीसदी अंक लाने में सफल रही। उसने हाल ही में सेंट जेवियर्स कॉलेज में भी एक सीट सुरक्षित की है।
पाखी में हुए सुधार से डॉक्टर भी हैरान
डॉक्टर कहते हैं, ‘न्यूरो डैमेज पेशेंट्स के साथ कई वर्षों तक काम करने के बावजूद भी बहुत कम ही ऐसा देखने को मिलता है कि शख्स सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा हो। हालांकि, यह वाकई बहुत बड़ी चीज है। जब वह हमारे पास आईं तो उनकी नाक, गले और यूरीन की ट्यूब लगी हुई थी। हमें ऐसा लगा कि और सर्जरी कारगर नहीं होंगी।’ डॉक्टर ने कहा, ‘दिमाग की चोट में उनके ब्रेन के कई हिस्से खत्म हो गए लेकिन कई बच भी गए थे। इसके बाद हमने उन हिस्सों के जरिए कार्य करने में मदद की और फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी आदि के जरिए नए सर्किट्स तैयार करने में सहायता भी मिली।’