जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट के बाद सीबीआई कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। सीबीआई कोर्ट ने चिदंबरम को 30 अगस्त तक पुलिस रिमांड (सीबीआई रिमांड) के लिए भेज दिया है। सीबीआई कोर्ट में सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी चिदंबरम का पक्ष रख रहे थे। चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम और बेटा कार्ति चिदंबरम भी कोर्ट में मौजूद थे। वहीं सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तषार मेहता दलील रख रहे थे।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बड़ा झटका देते हुए उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि कोई जांच एजेंसी किसी आरोपी के खिलाफ जांच करते हैं और उसे गिरफ्तार कर लेती है तो उसकी अग्रिम जमानत याचिका अपने आप निष्प्रभावी हो जाती है। यदि आप जमानत चाहते हैं तो उसके लिए उचित अदालत में जाएं। फिलहाल ईडी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जहां से उन्हें एक और दिन की राहत मिल गई।
आईएनएक्स मीडिया केस की अलग से जांच कर रहा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर चिदंबरम पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल मे अदालत से कहा कि सीबीआई चिदंबरम से पूछ रही है कि क्या आपके पास ट्विटर अकाउंट है? यह किस तरह के सवाल उनसे पूछे जा रहे हैं? 26 घंटे की पूछताछ के बाद भी वह कुछ नहीं निकाल पाए हैं। यदि दस्तावेज उपलब्ध थे तो उनका उससे सामना क्यों नहीं करवाया गया? उन्होंने सीलबंद लिफाफे में दिल्ली उच्च न्यायालय के जज को दस्तावेज क्यों दिए? यह मीडिया ट्रायल है।
चिदंबरम की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
इससे पहले उच्चतम न्यायालय में चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में जिरह करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि मुझे मौका नही मिला। यदि प्रक्रिया ऐसी चलेगी तो कैसे चलेगा। जिसपर अदालत ने उनसे कहा कि प्रक्रिया को लेकर वह अलग से अर्जी दाखिल कर सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि यह मौलिक अधिकार का मामला है। मेरे पास कानून के तहत सुनवाई का अधिकार है।
इससे पहले याचिका लिस्टिंग नहीं होने के कारण सुनवाई शुरू नहीं हो पाई थी। चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद पी. चिदंबरम की सीबीआई के रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। जिसपर अदालत ने कहा कि रजिस्ट्री को इस संबंध में मामले को सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक कार्य करना होगा।
पीठ ने सिब्बल से कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से रजिस्ट्री को आवश्यक आदेश मिलने के बाद उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी। सिब्बल से पीठ ने कहा, ‘रजिस्ट्री को कुछ दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और हमें प्रधान न्यायाधीश से आदेश लेना होगा।’