जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सांसद शशि थरूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना भारी पड़ गया है। राज्य की केरल ईकाई के अध्यक्ष मुलापल्ली रामचंद्र ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। सफाई मांगने के बाद थरूर ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को नसीहत दे डाली। थरूर ने कहा, ‘मैं अपने कांग्रेस के साथियों से कहना चाहता हूं कि मेरी राय की कद्र करें, यदि वे इससे सहमत नहीं हैं तो भी।’
थरूर ने कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी सरकार का एक कठोर आलोचक रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि मैंने यह काम पूरी रचनात्मकता से किया है। समावेशी मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के कारण ही मैंने लगातार 3 बार चुनाव जीता है। मैंने अपने कांग्रेस के साथियों से निवेदन करता हूं कि मेरे विचारों की कद्र करें, यदि वे उससे सहमत नहीं हैं तो भी।’
थरूर ने एक लेख लिखकर इस पूरे मामले पर अपनी बात कही है। थरूर ने कहा कि पहले मेरे साथी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि हमें पीएम मोदी को ‘खलनायक’ की तरह पेश करना गलत है। इसके बाद सीनियर वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जयराम के बयान से सहमति जताते हुए यही बात कही थी। थरूर ने कहा, ‘जब मुझसे इस संबंध में राय मांगी गई तो मैंने ट्वीट कर कहा कि मैं पिछले 6 साल से यह बात कह रहा हूं कि जब पीएम मोदी कोई अच्छी बात कहें या करें तो उसकी तारीफ होनी चाहिए।’
बता दें कि रल प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने पीएम मोदी की प्रशंसा करने पर शशि थरूर से स्पष्टीकरण मांगा है। यही नहीं राज्य नेतृत्व ने कांग्रेस आलाकमान से भी थरूर की शिकायत करने का फैसला किया है। केपीसीसी के अध्यक्ष मुल्लाप्पल्ली रामचंद्रन और राज्य में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नितला ने थरूर के बयान का खुलकर विरोध किया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि थरूर की सफाई के बाद करेंगे आगे की कार्रवाई करेंगे। यूडीएफ के समन्वयक बेनी बेहनन ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की ड्यूटी है कि वे मोदी के कार्यों की प्रशंसा न करें। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस संघ परिवार के अजेंडे को स्वीकार नहीं कर सकती है। किसी भी कांग्रेस नेता को पार्टी की ओर से मोदी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से दुखी नहीं होना चाहिए। कांग्रेस किसी भी कीमत पर मोदी की नीतियों और उनके विचारों का समर्थन नहीं कर सकती है।’
हाल ही में कुछ लोगों के ट्वीट का जवाब देते हुए थरूर ने कहा था, ‘जैसा कि आप जानते हैं, मैं छह साल से यह दलील देते आ रहा हूं कि मोदी जब भी कुछ अच्छा कहते हैं या सही चीज करते हैं तो उनकी तारीफ करनी चाहिए। ऐसा करने के बाद जब हम उनकी गलतियों की आलोचना करेंगे तो हमारी बात की विश्वसनीयता बढ़ेगी। मैं विपक्ष के उन लोगों का स्वागत करता हूं जो मेरे विचार से मिलती-जुलती बात कर रहे हैं।’
यह बयान उन्होंने तब दिया था जब कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने कहा था कि मोदी को हमेशा खलनायक की तरह पेश करना सही नहीं है। जयराम रमेश ने एक किताब के विमोचन के दौरान 21 अगस्त को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल पूरी तरह नकारात्मक गाथा नहीं है और उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना तथा हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है।
उन्होंने कहा कि यह वक्त है कि हम मोदी के काम और 2014 से 2019 के बीच उन्होंने जो किया उसके महत्व को समझे, जिसके कारण वह सत्ता में दोबारा लौटे। इसी के कारण 30 प्रतिशत मतदाताओं ने उनकी सत्ता वापसी करवाई। जयराम रमेश की बात का अभिषेक मनु सिंघवी ने भी समर्थन किया था।
सिंघवी ने रमेश के बयान का हवाला देते हुए ट्वीट कर लिखा था, ‘मैंने हमेशा कहा है कि मोदी को खलनायक की तरह पेश करना गलत है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं, बल्कि ऐसा करके एक तरह से विपक्ष उनकी मदद करता है। काम हमेशा अच्छा, बुरा या मामूली होता है। काम का मूल्यांकन व्यक्ति नहीं बल्कि मुद्दों के आधार पर होना चाहिए। जैसे उज्ज्वला योजना कुछ अच्छे कामों में एक है।’
केवल इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सिंघवी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा था, ‘बिल्कुल सही है सर। राष्ट्र निर्माण निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसे सभी सरकारों ने आगे बढ़ाया है। आशा करती हूं कि मोदी जी और उनकी टीम को भी इसका अहसास है। पंडित नेहरू को गलत ढंग से पेश करने की बजाय उन्हें उनके और कांग्रेस के असीम योगदान को स्वीकार करना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए। नीतियों पर आलोचना होनी चाहिए, व्यक्तियों की आलोचना नहीं होना चाहिए।’
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक थरूर के अलावा किसी और नेता से प्रधानमंत्री की तारीफ करने को लेकर सफाई नहीं मांगी है। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या केवल थरूर से जवाब-तलब करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है या फिर सभी इसकी जद में आते हैं।