अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली : लाख छुपाने के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार की हकीकत सामने आ गई है। सांख्यिकी मंत्रालय के जारी आंकड़े के अनुसार 2019-20 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर 5% के आंकड़े पर आ गई है जो साढ़े 6 साल का निचला स्तर है। भारत की जीडीपी ग्रोथ पिछली कई तिमाहियों से लगातार गिर रही है। 2017-18 की आखिरी तिमाही में भारत की विकास दर 8.1 प्रतिशत थी।पिछले वित्त वर्ष यानी 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही थी।
साढ़े 6 साल के निचले स्तर पर जीडीपी ग्रोथ रेट
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आर्थिक विकास दर का आंकड़ा जारी कर दिया है, जो महज पांच फीसदी है। इसके साथ ही आर्थिक विकास दर साढ़े छह वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी।
देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा।
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था साल दर साल आधार पर महज पांच फीसदी की दर से आगे बढ़ी है। विकास दर का यह आंकड़ा बाजार की 5.7 फीसदी की उम्मीद से काफी कम है। साल 2013 के बाद जीडीपी ग्रोथ का यह सबसे बुरा दौर है।
साढ़े छह साल में सबसे सुस्त रफ्तार
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर की पिछले साढ़े छह सालों में सबसे ज्यादा सुस्त रफ्तार देखने को मिली। जिन सेक्टरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली उनमें उत्पादन या फिर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 12.1 फीसदी के मुकाबले 0.6 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली।
- कृषि क्षेत्र में ग्रोथ 5.1 फीसदी से घटकर के दो फीसदी रह गई है।
- खनन क्षेत्र में ग्रोथ 0.4 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली थी, जो अब बढ़कर के 2.7 फीसदी हो गई है।
- कंस्ट्रक्शन सेक्टर में पिछले साल की पहली तिमाही में ग्रोथ 9.6 फीसदी थी जो अब घटकर के 5.7 फीसदी रह गई है।
- होटल, ट्रांस्पोर्ट और ट्रेड सेक्टर में ग्रोथ 7.8 फीसदी से घटकर के 7.1 फीसदी रह गई है।
- वित्तीय, रियल एस्टेट सेक्टर में ग्रोथ 6.5 फीसदी से घटकर के 5.9 फीसदी रह गई है।
कार्वी स्टॉक ब्रॉकिंग के सीईओ राजीव सिंह ने बताया कि महंगाई दर के कम होने से सरकार अब भी कई क्षेत्रों जैसे कि ऑटो उद्योग, घरेलू आयात, हवाई यातायात में कमी देखने को मिल रही है। अब आरबीआई से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल सरकार इन सेक्टर में कर सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके। अगर सरकार ने इस 1.76 लाख करोड़ राशि का इस्तेमाल इसके लिए नहीं किया तो फिर यह संकट और गहरा सकता है।
फिच इंडिया रेटिंग ने इस साल जीडीपी के 6.7 फीसदी रहने की संभावना जताई है। पिछली बार यह अनुमान 7.3 फीसदी था।
मरहम पट्टी वाले तरीकों से नहीं होगा काम
इसके साथ ही एजेंसी ने कहा है कि सरकार द्वारा मरहमपट्टी वाले तरीकों से अर्थव्यवस्था को किसी तरह का कोई लाभ नहीं पहुंचेगा। हालांकि एजेंसी को उम्मीद है कि चालू खाता घाटा 3.3 फीसदी रहेगा। एजेंसी का यह भी कहना सरकार को मंदी से उबरने के लिए आरबीआई से मिलने 1.76 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा।
मूडीज ने भी घटाया था अनुमान
इससे पहले शुक्रवार को वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंदी के बीच देश की विकास दर के अनुमान को घटा दिया था। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019 और 2020 के लिए जीडीपी अनुमान में भारी कटौती की है। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी को 6.80 फीसदी से घटाकर के 6.20 फीसदी कर दिया है। वहीं 2020 के लिए जीडीपी को 7.30 फीसदी से घटाकर के 6.7 फीसदी कर दिया है। एजेंसी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का माहौल है, जिससे एशियाई देशों में भी असर देखने को मिला है। इससे निवेश का वातावरण भी प्रभावित हुआ है। भारत से दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छिन गया है। साल 2018 में अर्थव्यवस्था सुस्त रहने की वजह से विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत अब सातवें पायदान पर पहुंच गया है।